नई दिल्ली, 29 मई (हि.स.)। मस्तिष्क संबंधी दुर्लभ बीमारी मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) के मरीजों के लिए दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) में जून से इस बीमारी के लिए क्लीनिक शुरू होने जा रहा है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि एमएस के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। रॉकलैंड अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉक्टर मनीष ने कहा कि यह बीमारी आजकल शहरों में रहने वाले नौजवानों में यह बीमारी अधिक देखी जा रही है। प्राय: यह बीमारी महिलाओं को होती है और 40 वर्ष के बाद होती है।
डॉक्टर मनीष ने बुधवार को ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से बातचीत करते हुए कहा कि यह बीमारी आजकल 20 से 40 साल की उम्र के लोगों में अधिक पाई जा रही है। डॉक्टर मनीष ने कहा कि मल्टिपल स्क्लेरोसिस तब होता है जब शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मायलिन नाम के फैटी पदार्थ पर हमला करता है। यह फैट तंत्रिकाओं को सुरक्षित रखने के लिए उसको ढकता है लेकिन जब यह बाहरी कवर हट जाता है तो नर्व को नुकसान पहुंचता है और उत्तकों में घाव बन जाता है। इस कारण मस्तिष्क और शरीर के बीच का संचार प्रभावित होता है क्योंकि दिमाग सही ढंग से सिग्नल नहीं भेज पाता है जिसके कारण शरीर और दिमाग का संतुलन नहीं बन पाता है। ऐसी स्थिति में आंखों की रोशनी, संतुलन, मांसपेशी नियंत्रण और शरीर के अन्य अंग प्रभावित होते हैं।
डॉक्टर ने कहा कि इस बीमारी के होने से मरीज अपने रोजमर्रा के काम खुद नहीं निपटा पाता। पढ़-लिख नहीं सकता। देख-बोल नहीं सकते। यहां तक कि पेशाब आ रहा हो तो बता भी नहीं सकते। यही वजह है कि एमएस का नाम हर किसी के लिए डर का बड़ा कारण बन चुका है। मनीष ने कहा कि इस बीमारी के बचाव के लिए उत्तम आहार, संतुलित भोजन व समय- समय पर चेकप कराते रहना चाहिए।