छत्तीसगढ़ : नक्सलियों की रणनीतियों को समझने के लिए किया ब्रेन मैपिंग तकनीक का उपयोग

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दंतेवाड़ा, 28 सितंबर (हि.स.)। जिले में नक्सलियों द्वारा अब तक मचाई गई तबाही और नक्सली संगठन की रणनीतियों को समझने के लिए दंतेवाड़ा पुलिस ने पहली बार ब्रेन मैपिंग की तकनीक का उपयोग किया है। मनोचिकित्सक रहे दंतेवाड़ा एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने आत्मसमर्पण करने वाले पांच लाख से ज्यादा इनामी वाले 41 नक्सलियों से चुनिंदा प्रश्नों की प्रश्नावली से जवाब तलाशने का प्रयास किया है।

दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव के अनुसार नक्सलियों के पीएलजीए सप्ताह के दौरान सर्वे कराया गया। इस सर्वे के निष्कर्षों से ग्रामीणों को अवगत कराया जाएगा कि एक बार नक्सलवाद के दलदल में फंसने के बाद संगठन को अपनी मर्जी से नहीं छोड़ सकते हैं। नक्सलवाद में भर्ती की औसत आयु 15 साल 02 महीने है। ज्यादातर भर्ती 18 वर्ष से पहले संगठन में जबरन दबाव बनाकर किया जाता है। नक्सलवाद में जाने के बाद सिर्फ मौत ही मिलना तय है। ऑटोमेटिक हथियार थमाने की औसत उम्र 17 वर्ष 02 माह और सेमी ऑटोमेटिक हथियार थमाने की औसत उम्र 20 वर्ष है। एक चौथाई नक्सलियों को परिजनों से मिलने की अनुमति नहीं है। 30 प्रतिशत नक्सलियों को पांच साल में सिर्फ एक बार घर जाने की अनुमति मिली।

एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव का कहना है कि नक्सली 15-16 वर्ष की उम्र में सीधे पीएलजीए या मिलिशिया सदस्य के तौर पर भर्ती करते हैं। उन्हें तीन स्तर की ट्रेनिंग मिलती है। पहले चार हफ्ते की ट्रेनिंग के बाद नए कैडर को 12 बोर, सिंगल शॉट या 303 राइफल थमा दिया जाता है। दूसरे चरण में बड़े इंस्ट्रक्टर 08 हफ्ते की ट्रेनिंग में एम्बुश, काउंटर एम्बुश जैसी तकनीक सिखाते हैं। सालभर में कमांडर पद पर ऑटोमेटिक हथियार के साथ नियुक्त कर दिया जाता है। नक्सली संगठन में शामिल होने वाले युवाओं को घातक ऑटोमेटिक हथियार थमाए जाते हैं, ताकि उनकी ऊर्जा और जोश का भरपूर इस्तेमाल विध्वंसक कार्यों में किया जा सके। ऐसे नौजवान 18 वर्ष की उम्र पूरी करने से पहले ही एके-47, यूबीजीएल, मोर्टार चलाने लगते हैं, आदि खुलासा दंतेवाड़ा पुलिस के सर्वे में हुआ है।


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