नई दिल्ली, 12 जुलाई (हि.स.)। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के विस्तारित रेंज संस्करण का सोमवार को ओडिशा तट पर बालासोर के चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के लॉन्चपैड नंबर-5 से परीक्षण किया गया। 400 किलोमीटर की लक्ष्य सीमा वाली इस मिसाइल का परीक्षण सुबह 10.15 बजे किया गया। परीक्षण के लिए रखे गए लक्ष्य का मिसाइल ने सफलतापूर्वक निशाना बनाया। इसके अलावा जल्द ही एक और वर्जन का टेस्ट होने वाला है, जो 800 किलोमीटर की रेंज में टारगेट को हिट कर सकता है।
21वीं सदी की सबसे खतरनाक मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस मिसाइल 8.4 मीटर लम्बी तथा 0.6 मीटर चौड़ी है। 3000 किलोग्राम की यह मिसाइल 300 किलोग्राम वजन तक विस्फोटक ढोने तथा 400 किलोमीटर तक लक्ष्य को मार गिराने की क्षमता रखती है। यह सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल आवाज की गति से 2.8 गुना तेज जाने की क्षमता रखती है। अग्नि के सिद्धांत पर काम करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल में डीआरडीओ ने पीजे-10 परियोजना के तहत स्वदेशी बूस्टर बनाकर इसकी मारक क्षमता बढ़ा दी है। 400 किमी. से अधिक दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का 30 सितम्बर को सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण का दूसरा परीक्षण था।
हवा, पानी, जमीन… कहीं से भी कर सकते हैं फायर
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। यह मिसाइल पानी में 40 से 50 मीटर की गहराई से छोड़ी जा सकती है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करण पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण करके भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपे जा चुके हैं। भारत और रूस के सहयोग से विकसित की गई ब्रह्मोस अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी बना दिया है। रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करवा रहा है और उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता भारत ने विकसित की है। तेज गति से आक्रमण के मामले में ब्रह्मोस की तकनीक के आगे दुनिया का कोई भी प्रक्षेपास्त्र नहीं टिकता।
कई देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में रुचि दिखाई
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सबसे पहला और सफल परीक्षण 18 दिसम्बर, 2009 को भारत ने बंगाल की खाड़ी में किया था। रूसी सरकार ने भारत के साथ मिलकर बनाई सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस किसी तीसरे देश को निर्यात करने की अनुमति दे दी है। रूस ने इसके साथ 100 रक्षा कंपनियों की सूची भी जारी की है जो भारत के साथ ब्रह्मोस जैसा प्रोजेक्ट शुरू करना चाहती हैं। निर्यात की अनुमति मिलने से पहले ही फिलीपींस, वियतनाम, मिस्र और ओमान सहित कई देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में रुचि दिखाई है। अभी तक ब्रह्मोस की मारक क्षमता 300 किमी. तक थी लेकिन डीआरडीओ ने पीजे-10 परियोजना के तहत स्वदेशी बूस्टर बनाकर इसकी मारक क्षमता बढ़ा दी है। भारत ने आज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का स्वदेशी बूस्टर के साथ सफलतापूर्वक परीक्षण किया जो अब 400 किमी. से अधिक दूरी पर लक्ष्य को मार सकती है।
ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत
– यह हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेदने में सक्षम
– इसको वर्टिकल या सीधे कैसे भी प्रक्षेपक से दागा जा सकता है।
– यह मिसाइल तकनीक थलसेना, जलसेना और वायुसेना तीनों के काम आ सकती है।
– यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड़ में नहीं आती।
– अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है, इसे मार गिराना असम्भव
– ब्रह्मोस की प्रहार क्षमता अमेरिका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी और अधिक तेज
– आम मिसाइलों के विपरीत यह हवा को खींच कर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है।
– यह मिसाइल 1200 यूनिट ऊर्जा पैदा कर अपने लक्ष्य को तहस-नहस कर सकती है।