निजी हाथ में देने के संभावनाओं के बीच बीपीसीएल के शेयर गिरे

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नवम्बर के पहले सप्ताह में सरकार निविदा निकालेगी, जिसके बाद इसके निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।



नई दिल्ली, 07 अक्टूबर (हि.स.)। भारत सरकार की तीसरी सबसे बड़ी एकीकृत तेल शोधन और विपणन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) को निजी हाथ में देने का मार्ग लगभग प्रशस्त हो गया है। ऐसे में सोमवार को इसके शेयर में जोरदार गिरावट दर्ज की गई। आज बीपीसीएल का शेयर 500.35 रुपये पर खुलकर 4.83 फीसदी गिरकर 490.65 रुपये पर बंद हुआ।

दरअसल मोदी सरकार ने निरस्त तथा संशोधित अधिनियम को वर्ष 2016 में ही खत्म कर दिया था, जिसमें 187 अप्रचलित और निरर्थक कानून रद्दी की टोकरी में चले गए। जिसके बाद बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री के लिए संसद की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। नवम्बर के पहले सप्ताह में सरकार निविदा निकालेगी, जिसके बाद इसके निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण फिलहाल 55,000 करोड़ रुपये का है। सरकार अपनी पूरी 53.3 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 60,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाने की तैयारी कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने सितम्बर 2003 में फैसला दिया था कि बीपीसीएल और एचपीसीएल का निजीकरण सरकार द्वारा कानून में संशोधन के बाद ही किया जा सकता है। संसद ने ही पूर्व में दोनों कंपनियों के राष्ट्रीयकरण के लिए कानून पारित किया था। वैसे कोर्ट के इस निर्देश से पहले अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली राजग सरकार ने दोनों कंपनियों के निजीकरण की योजना बनाई थी। तब कोर्ट के निर्देश के बाद एचपीसीएल में सरकार की अपनी 51.1 फीसदी हिस्सेदारी में से 34.1 फीसदी हिस्सा बेचने की योजना रुक गई थी।


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