टोक्यो, 27 जुलाई (हि.स.)। ओलंपिक खेलों में मंच पर पदक विजेताओं को दिए जाने वाले पुष्पगुच्छ में एक ओर एथलीटों की सफलता के प्रति सम्मान दर्शाया जा रहा है, वहीं इन पीले, हरे और नीले रंग के अद्भुत फूलों के पीछे दर्द भरी कहानी और अनंतकाल तक आगे बढ़ने की शुभकामनाएँ छिपी हैं। ये ताज़ा फूल जापान के उन तीन क्षेत्रों से मँगवाए जा रहे हैं, जहाँ हज़ारों लोग किसी न किसी त्रासदी के शिकार हुए लेकिन उस क्षेत्र के लोगों ने अथक परिश्रम और साधना से उस स्थान को सुनहरे भविष्य के लिए अपनी आजीविका का आधार बनाया है।
हालाँकि इस पुष्पगुच्छ में एक ओलिंपिक मैंस्कट ‘मिरैतोवा’ की आकृति दिखाई गई है। इस कार्टूननुमा आकृति के मस्तक पर बँधे रिबन में नीले और श्वेत रंग दिखाए गए हैं। इसका जापान में ‘मिराइ’ अर्थात भविष्य और ‘टोवा’ अर्थात अनंतकाल।
पुष्पगुच्छ में हरा रंग फ़ुकुशिमा की दर्द भरी दास्तान है। जापान के 57 जिलों अथवा हिस्सों में से फुकुशिमा एक दशक पूर्व आणविक विस्फोट, टी सुनामी और भूकंप से पूरी तरह तबाह हो गया था। इस क्षेत्र में हज़ारों लोग मारे गए थे, जबकि सैकड़ों लापता हो गए थे अथवा घर छोड़कर जाना पड़ा था। इसके बावजूद इस क्षेत्र के किसानों ने खेतीबाड़ी में खाद्य पदार्थों को अपनी रोज़ी रोटी का आधार बनाने की बजाए ‘एस्टोमस’ पुष्प खेती की पैदावार की ताकि खाद्य पदार्थों में आणविक विस्फोट की रेडिएशन न्यूनतम हो। इस त्रासदी के पश्चात किसानों ने फल-सब्ज़ियों में रेडिएशन की मात्रा अधिक पाई थी। इस क्षेत्र के किसान यह संदेश देना चाहते हैं कि उन्होंने पैदावार में बदलाव कर हिम्मत और बहादुरी से जीवन जीने की कला अपनाई है।
मियागि का सूरजमुखी फूल : फ़ुकुशिमा में आई टी सुनामी ने आसपास के क्षेत्रों में तबाही की चपेट में मियागि को भी लपेट लिया था। तब दस हज़ार लोग मारे गए थे अथवा लापता हो गए थे। उन दिनों भारी तबाही को देखते हुए लोग मियागि की पहाड़ियों में आ बसे थे और उन्होंने इस क्षेत्र में गुलाब के फूलों की मौजूदगी में सूरजमुखी के फूलों की पैदावार शुरू की। आज इन गर्मियों में पहाड़ी पर चारों ओर सूरजमुखी के फूल दिखाई पड़ते हैं।
इवेंट के नीले चमकदार जेंटेन्स की छटा देखते ही बनती है। मियागि के उत्तर में समुद्र तटीय ‘इवेट’ भी टी सुनामी की उन्मादी लहरों से पूरी तरह तबाह हो चुका था। इस क्षेत्र में जेंटेन्स पुष्प की खेती सारे जापान में की जाती थी। इवेट में इन फूलों की पैदावार सन 1960 से लगातार हो रही है।