नई दिल्ली, 17 दिसम्बर (हि.स.)। देश में पिछले 22 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन के बीच अब केन्द्र सरकार ने भी किसानों को समझाने के लिए एक बुकलेट जारी की है। किसानों को अन्नदाता बताते हुए इस बुकलेट का नाम ‘अन्नदाता के हितों को समर्पित मोदी सरकार’ रखा गया है। 106 पेज की इस बुकलेट को हिन्दी के अलावा अंग्रेजी में भी प्रकाशित किया गया है। बुकलेट में कृषि कानूनों को लेकर उठे सवालों के सिलसिलेवार तरीके से जवाब दिया गया है। इसमें सप्रंग सरकार (2009-2014) में कृषि कानून औऱ मोदी सरकार के समय कृषि कानून के अंतर को भी समझाया गया है।
बुकलेट में तीन कृषि कानूनों के तहत एमएसपी और एपीएमसी पर मचे हंगामे के बीच सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया है कि दोनों व्यवस्थाएं जारी रहेंगी। इसमें विस्तार से बताया गया है कि नए कृषि कानूनों से किसानों को किस तरह लाभ पहुंचेगा। बुकलेट में कहा गया है कि नए कृषि कानून बनने के बाद पूरे देश में कहीं भी एक भी मंडी बंद नहीं हुई है। बल्कि किसानों को अपनी फसल मंडी से बाहर कहीं भी बेचने का अधिकार मिला है। इस बुकलेट में मनमोहन सिंह सरकार में पूर्व कृषि मंत्री और एनसीपी नेता शरद पवार पर भी निशाना साधते हुए कहा गया है कि उनके 10 साल के कार्यकाल के दौरान किसानों से अनाज की खरीद पर सिर्फ 450 करोड़ रुपये खर्च किए गए जबकि मोदी सरकार ने साल 2014-2019 के बीच किसानों से अनाज की खरीद पर 8,500 करोड़ रुपये खर्च किए।
इसी तरह मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान पिछले छह सालों में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए शुरू की गई योजनाओं और उसके लाभ को भी विस्तृत रूप से समझाया है। इसके साथ पिछले छह महीनों में कृषि कानूनों को लेकर दिए गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयानों को भी प्रमुखता से लिया गया है। इससे पहले भी केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सिखों के मधुर रिश्ते को दर्शाते हुए एक किताब जारी की थी।