सरसंघचालक ने विमोचन किया संस्कृत में लिखी पुस्तक ‘विश्व भारतीयम’ का
हैदराबाद, 25 फरवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने संस्कृत में लिखी “विश्व भारतीयम” पुस्तक का गुरुवार को यहां आयोजित कार्यक्रम मेें विमोचन किया। पुस्तक के लेेेखक तेलुगु सााहित्यकार एवं संस्कृत भाषा के विद्वान डॉ. एमएनपी शर्मा हैं।
डॉ. भागवत ने कहा कि यह पुस्तक लोक कल्याण के उद्देश्य से प्रतिभावान विद्वान द्वारा लिखी गई है, लेकिन पढ़ने के लिए बहुत विद्वता की जरूरत नहीं है, जो थोड़ा-बहुत संस्कृत भाषा जानते हैं वह भी इसको पढ़ और समझ सकते हैैं।
डाॅ. भागवत ने समुद्र मंथन का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान शंकर को जगत के कल्याण के लिए कंठ में विष धारण करना पड़ा। ठीक उसी प्रकार भारत देश भी विश्व को विनाश से बचाने की क्षमता रखता है।
सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि ‘अखंड भारत’ का लक्ष्य कठिन है लेकिन असंभव नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत विभाजन से 6 महीना पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू से पूछा गया कि क्या देेश का विभाजन होगा? उन्होंने कहा कि यह मूर्खों का सपना है। ऐसा कभी होता है क्या? ब्रिटेन के सांसद लॉर्ड वावेल ने ब्रिटिश संसद में कहा था कि भगवान ने भारत को एक बनाया है, हम कौन होते हैं उसको विभाजन करने वाले?
संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि जब हम अखंड भारत की बात करते हैं तो हमारा मतलब किसी सत्ता से नहीं होता, हमारा मतलब होता है हमारी जोड़ने वाली प्राण शक्ति से और वह प्राण शक्ति है धर्म; जो सनातन है, मानव धर्म है, संपूर्ण विश्व का धर्म है।