लॉस एंजेल्स, 11 नवंबर (हि.स.)। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत और भारतीय मूल की निक्की हेले ने अपनी नई पुस्तक में कहा है कि देश के राष्ट्रपति की अवमानना एक गंभीर मामला है और वह इसके कतई पक्ष में नहीं हैं।
उन्होंने अपनी नई पुस्तक ”विद आल ड्यू रेस्पेक्ट” में कहा है कि व्हाइट हाउस में तत्कालीन चीफ़ ऑफ स्टाफ़ जाॅन केली और तत्कालीन विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने एक बार उनसे बातचीत में कहा था कि देश हित में उन्हें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ख़िलाफ़ उनका साथ देना चाहिए। इस पर निक्की हेले ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया था। यही नहीं, इस पुस्तक में निक्की हेले ने डेमोक्रेट की ओर से राष्ट्रपति ट्रम्प के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे महाभियोग के प्रति भी अपनी नाराज़गी व्यक्त की है।
उन्होंने कहा है कि यह मौजूदा साल राष्ट्रपति चुनाव का वर्ष है, जिसमें महाभियोग चलाया जाना सर्वथा अनुचित है। 47 वर्षीया निक्की हेले एक समर्पित रिपब्लिकन होने के कारण दक्षिण कैरोलाइना राज्य की गवर्नर रह चुकी हैं। उनकी इस पुस्तक को लेकर अमेरिकी मीडिया में ख़ास चर्चा हो रही है। इस पुस्तक के अंशों को लेकर मीडिया में तीव्र प्रतिक्रियाएं हो रही हैं।
समाचार चैनल सीबीएस न्यूज़ ने निक्की हेले की पुस्तक में जाॅन केली और टिलरसन के कथन की सच्चाई के बारे में जानने की कोशिश की तो उन्होंने स्पष्ट तौर पर उक्त घटना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि वास्तव में ऐसी घटना हुई है।
निक्की हेले रंधावा मूलत: एक सिख परिवार की बेटी है, जिस पर भारतीय संस्कारों का ख़ासा प्रभाव है। उनके दो बच्चे हैं। वह अभी राजनैतिक जीवन में नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि जब इन दोनों महानुभावों ने उनसे यह बात की, तो जवाब में ” मेरा एक ही कहना था कि वे ख़ुद ही राष्ट्रपति से अपनी बात क्यों नहीं कह देते ?” निक्की ने कहा, ” आपके जो भी राष्ट्रपति से मतभेद हैं, उन्हें जा कर स्पष्ट कहें, अन्यथा अपने अपने पद से त्याग पत्र दे दें। लेकिन एक राष्ट्रपति की अवमानना करना एक भयंकर बात होगी। यह संविधान के ख़िलाफ होगा और अमेरिकी जनता इसे कदापि पसंद नहीं करेगी।”
समाचार चैनल एनबीसी न्यूज़ का कहना है कि टिलरसन ने पूछे जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की। कहा जा रहा है कि निक्की सन 2024 में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मन बना रही हैं। उनका मानना है कि निर्णय कड़े लेने की ज़रूरत है, पर व्यक्ति को किसी का अनादर करने का हक़ नहीं दिया जा सकता। राजदूत रहते हुए उन्होंने ऐसा ही किया, जो देश उनके साथ नहीं थे, वह उनका नाम लेकर पुकारती थीं।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा है कि एक महिला को महत्वाकांक्षी कहना सर्वथा अनुचित है। उसे सकारात्मक रूप में नहीं लिया जाता है। हालांकि उन्हें बचपन से ही महत्वाकांक्षी कहा जाता रहा है और वह इस पर आपत्ति भी करती रही हैं। वह अपने कार्य के प्रति पूर्णतया निष्ठवान हैं।
उन्होंने अपनी पुस्तक में यह भी स्पष्ट किया है कि वह दक्षिण कैरोलाइना के जिस छोटे से गांव में रहती थीं, वहां वह बच्चों में न तो श्वेत थीं और न ही अश्वेत। उनके पिता पगड़ी पहनते थे। वह उस गांव में अकेले भारतीय थे। इस पर जब कभी बच्चों में कानाफूसी होती थी, तब मेरी मां समझाती थीं, ” तुम्हें अपने को अलग- थलग दिखाने की जरूरत नहीं है। जैसी हो, वैसी ही बन कर रहो। बाद में यही फ़ार्मूला उनके राजनैतिक जीवन में भी काम आया।
सन 2016 में राष्ट्रपति चुनाव अभियान में साउथ कैरोलाइना की गवर्नर के रूप में निक्की हेले ने रिपब्लिकन सिनेटर मार्कों रूबियो का समर्थन किया था। लेकिन जब ट्रम्प राष्ट्रपति बने और उन्होंने उन्हें संयुक्त राष्ट्र का राजदूत बनाया, तो उन्होंने वह पद पूरी गरिमा के साथ निभाया।