नई दिल्ली, 27 जनवरी (हि.स.)। भारत सरकार, असम सरकार और अलगाववादी बोडो आंदोलनकारी घटकों के बीच सोमवार को एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए। गृह मंत्रालय में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद पत्रकारों के समक्ष सभी संबंधित पक्षों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसे अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश की एकता-अखंडता और विशेषकर असम में शांति बहाली के लिए आज का दिन ऐतिहासिक कहा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अलगाववादी बोडो संगठनों के साथ सन् 2003 में एक शांति समझौता हुआ था, पर उसमें कुछ संगठन सहभागी नहीं हुए थे। इस बार बोडो आंदोलन से जुड़े सभी धड़े इस शांति प्रक्रिया में शामिल हुए और जो समझौता हुआ है वह सर्वसम्मत है।
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, उत्तर पूर्व विकास आयोग के अध्यक्ष हेमंता बिस्वशर्मा, केन्द्रीय गृह सचिव ए के भल्ला, खुफिया ब्यूरो (आई बी) के निदेशक अरविंद कुमार, असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण की मौजूदगी में गृह मंत्रालय में सुबह से ही चल रही बैठक के बाद ऑल बोडो स्टूडेन्टस यूनियन (आबसू) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंड ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी धड़े समझौते पर सहमत हुए।
इस समझौते की सबसे बड़ी बात यह है कि अलग बोडोलैंड की बात पूरी तरह से समाप्त हो गई है। इसके स्थान पर बोड़ो टेरिटोरियल काउंसिल को और सशक्त व अधिकार सम्पन्न बनाने पर सहमति हुई है। इसके लिए एक कमेटी बनाने पर भी सभी पक्ष सहमत हुए हैं जो न केवल इस समझौते को लागू कराएगा बल्कि बोड़ो क्षेत्र के पुनर्गठन का भी कार्य करेगा।
हिंसक आंदोलन का समापन
गृहमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि अलग बोडोलैंड की मांग 1972 में उठी थी और उसका नेतृत्व ऑल बोडो स्टूडेन्टस यूनियन (आब्सू) कर रही थी। उसके बाद इसमें नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंड ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) भी शामिल हो गया। अलग राज्य के लिए शुरू हुआ यह आंदोलन 1987 से हिंसक हो गया। जिसके चलते लगभग 2829 निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इसके साथ ही 939 बोडो कैडर मारे गए जबकि 249 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए। कुल मिलाकर अलग राज्य की मांग के चलते 4007 लोगों को जान गंवानी पड़ी है। अब इस समस्या का स्थायी हल निकल आया है। गांधी जी के बलिदान दिवस पर सभी बोड़ो समूहों के कुल मिलाकर 1550 कॉडर राज्य सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कर देंगे, इनमें से 130 के पास अत्याधुनिक हथियार भी हैं जो वे समर्पित करेंगे। सभी अलगाववादी धड़ों का राष्ट्र की मुख्यधारा में आना भारत के लिए एक सुखद संदेश है।
तेज गति से होगा विकास
गृहमंत्री ने कहा कि शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद अब राज्य के बोड़ो बहुल क्षेत्र में तेज गति से विकास होगा। हमने समझौते में सभी पक्षों की भावनाओं का सम्मान करने का प्रयास किया है। अगले तीन वर्षों में बोडो टेरिटोरियल काउंसिल के विकास के लिए केन्द्र सरकार 150 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज जारी करेगी। जो कॉडर आत्मसमर्पण करेंगे उनके पुनर्वास के लिए योजना लागू की जाएगी। आंदोलन के दौरान मारे गए प्रत्येक बोड़ो आंदोलनकारी को 5 लाख रूपए का मुआवजा दिया जाएगा। इसके साथ ही बोड़ो आंदोलन के अगुआ उपेन्द्र नाथ के नाम पर कोकराझार में एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय भी बनाया जाएगा।
पूर्वोत्तर हमारी प्राथमिकता
गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पिछले कार्यकाल में ही सबका साथ सबका विकास का नारा दिया था। उसी आधार पर पूर्वोत्तर राज्यों का विकास किया गया और उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। इस बार हम सबका साथ-सबका विकास के साथ ही सबका विश्वास जीतने के संकल्प के साथ काम कर रहे हैं। उसी का परिणाम है कि वर्षों से चली आ रही समस्याओं का समाधान हो रहा है। पूर्वोत्तर को अशांति और अस्थिरता से बाहर लाना हमारी प्राथमिकताओं में से एक है। कुछ समय पहले त्रिपुरा के असंतुष्ट धड़ों का समाधान किया गया, फिर ब्रू-रियांग की वर्षों से चली आ रही समस्या का स्थायी समाधान किया गया। हाल ही में असम के 13 गुटों के 644 लोगों ने 3000 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया।