एन-32 विमान हादसा : घर भेजे गए शहीद सैनिकों के शव

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विमान दुर्घटना में शहीद हुए 13 वायु सैनिकों का शव गुरुवार को जोरहाट स्थित वायु सेना की छावनी लाया गया, जहां से देर रात 12 सैनिकों का शव उनके पैतृक गृह भेजा गया।



जोरहाट(असम), 21 जून (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश में शहीद हुए वायुसेना के जवानों का शव उनके पैतृक गांव गुरुवार देर रात भेजे गए।
शुक्रवार को भारतीय वायु सेना के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गत तीन जून को रूस निर्मित वायुसेना का माल वाहक विमान एएन-32 असम के जोरहाट से अरुणाचल प्रदेश के शि-योमी जिला मेचुका स्थित एडवांस लैंडिंग ग्राउंड के लिए उड़ान भरी थी लेकिन अचानक मौसम खराब होने के चलते माल वाहक विमान दुर्गम पहाड़ी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। विमान दुर्घटना में शहीद हुए 13 वायु सैनिकों का शव गुरुवार को जोरहाट स्थित वायु सेना की छावनी लाया गया, जहां से देर रात 12 सैनिकों का शव उनके पैतृक गृह भेजा गया। जबकि विंग कमांडर जीएम चार्ल्स के शव का अंतिम संस्कार जोरहाट के गड़मूर स्थित सार्वजनिक श्मशान घाट में किया गया।
हादसे में मारे गए वायु सैन्य कर्मियों में विंग कमांडर जीएम चार्ल्स, स्क्वाड्रन लीडर एच. विनोद, फ्लाइट लेफ्टिनेंट आर. थापा, फ्लाइट लेफ्टिनेंट ए. तंवर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस. मोहंती, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एमके गर्ग, वारंट ऑफिसर केके मिश्रा, सार्जेंट अनूप कुमार एस., कॉर्पोरल शेरिन एनके, लीड एयरक्राफ्ट मैन एसके सिंह, लीड एयरक्राफ्ट मैन पंकज, असैन्य कर्मचारी पुतली और असैन्य कर्मचारी राजेश कुमार शामिल हैं।
भारतीय वायुसेना का माल वाहक विमान एएन-32 का मलबा अरुणाचल प्रदेश के शि-योमी और सियांग जिलों के सीमाई इलाके में स्थित गाट्टे गांव में 12 हजार फुट गहरी खाई में पाया गया। दुर्घटनाग्रस्त विमान में कुल 13 वायु सैनिक सवार थे। नौ दिनों की मशक्कत के बाद 11 जून को विमान का मलबा बरामद कर लिया गया था।
12 जून को वायुसेना ने अधिकारिक रूप से विमान में सवार सभी जवानों के शहीद होने की पुष्टि कर दी थी लेकिन 12 हजार फुट की गहराई में विमान का मलबा एवं शहीद सैनिकों का शव होने की वजह से खराब मौसम के कारण वहां से शवों निकालना संभव नहीं हो सका था। कई दिनों की मशक्कत के बाद आखिरकार गुरुवार को सात वायु सैनिकों के अवशेष समेत कुल 13 जवानों के शवों को निकालकर जोरहाट लाया गया। गुरुवार रात ही 12 शव एवं अवशेषों को जोरहाट स्थित वायुसेना की छावनी उनके पैतृक घर भेजा गया, जबकि एक शव का अंतिम संंस्कार वहीं किया गया। अंतिम संस्कार के दौरान शहीद जीएम चार्ल्स की पत्नी एवं पुत्री वहां मौजूद रहीं। जीएम चार्ल्स बेंगलुरु के रहने वाले थे।

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