ब्लैक फंगस की संभावना अधिक शुगर के मरीजों व स्टेरॉयड लेने वाले लोगों में : डॉ. रणदीप गुलेरिया

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नई दिल्ली, 15 मई (हि.स.)। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि कोरोना अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण वहां इंफेक्शन को नियंत्रण करने की बेहद आवश्यकता है। अस्पतालों में अब म्यूकरमाइकोसिस यानि ब्लैक फंगस व बैक्टीरिया की बीमारी हो रही है जिससे मौत भी हो रही है। डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि ब्लैक फंगस चेहरे, नाक, आंखे यहां तक की दिमाग पर भी प्रतिकूल असर डालता है जिससे कई बार आंख की रोशनी भी चली जाती है। यह फंगल इंफेक्शन फेफड़ों में भी पहुंच जाता है।
उन्होंने बताया कि कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड अधिक लेने से भी इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है। खासकर डायबीटीज से पीड़ित कोरोना के मरीजों में ब्लैक फंगल इंफेक्शन होने की संभावना अधिक रहती है क्योंकि स्टेरॉयड लेने से शुगर लेवल अचानक 300-400 तक बढ़ जाता है।  इसलिए स्टीरॉयड का इस्तेमाल सोच समझकर ही लेना चाहिए। कोरोना के बेहद कम और मामूली लक्षण वाले मरीजों को स्टेरॉयड लेने से बचना चाहिए।
म्यूकरमाइकोसिस की दवा की उपलब्धता पर केन्द्र सरकार की नजर
कोरोना से ठीक हुए कुछ लोगों में म्यूकरमाइकोसिस यानि ब्लैक फंगस का संक्रमण देखा जा रहा है। इस संक्रमण के इलाज में कारगर एंटी फंगल दवा एम्फोटेरीसिन बी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र सरकार ने भी इसके उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने बताया कि म्यूकरमाइकोसिस के संक्रमण पर केन्द्र सरकार ने पूरी नजर बनाए हुए है। इसे फैलने से रोकने के लिए सारे प्रयास किए जा रहे हैं।  रिपोर्ट के आधार पर इसके इलाज में कारगर दवा एम्फोटेरीसिन बी के उत्पाद को भी बढ़ाया गया है। इस दवा को आयात करने की भी कोशिश तेज कर दी गई हैं। कुलमिलाकर केन्द्र सरकार सारे प्रयास कर रही है ताकि इस संक्रमण को रोका जा सकें।
क्या होता है म्यूकरमाइकोसिस
दरअसल यह एक तरह का फंगस यानि फफूंद होती है। यह उन लोगों पर हमला करती है जो किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण स्टेरायड ले रहे हैं जिसकी वजह से शरीर में बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। यह फंगल इंफेक्शन नाक से शुरू होता है फिर आंखों में पहुंचता है और फिर दिमाग तक जाता है, लेकिन घबराने की बात नहीं है। इसका सही वक्त पर लक्षण पहचान लिए जाएं और समय पर इलाज करवाया जाए तो यह ठीक होजाता है।
क्या हैं इसके लक्षण
साइनस या नाक का बंद हो जाना, दांतों का अचानक टूटना, आधा चेहरा सुन्न पड़ जाना, नाक से काले रंग का पानी निकलना या खून बहना, आंखों में सूजन, धुंधलापन, सीने में दर्द उठना, प्लूरल इफ्यूजन, सांस लेने में समस्या होना और बुखार होना।
बचाव के उपाय
कोरोना से ठीक होने के बाद भी शुगर के मरीज अपना शुगर लेवल की जांच करते रहें । इसे नियंत्रित रखें। डॉक्टरों की सलाह पर ही स्टेरॉयड लें। एंटीबयोटिक या फिर एंटीफंगल दवाइंयों का प्रयोग भी चिकित्सकों के सलाह पर ही करें। ऑक्सीजन ले रहे हैं तो ह्युमिडिफायर में साफ पानी का ही इस्तेमाल करें।

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