नई दिल्ली, 14 मई (हि.स.)। कोरोना महामारी के बीच बढ़ रहे ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस के खतरे ने लोगों की चिंता और बढ़ा दी है। देशभर में अब तक इससे 2500 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। ब्लैक फंगस के सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र में सामने आए हैं, जबकि सर्वाधिक 60 मौतें गुजरात में हुई हैं। इसके अवाला मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, झारखंड, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में भी यह बीमारी पहुंच चुकी है। दुर्लभ किस्म की यह बीमारी अधिकतर कोरोना संक्रमण से उबरे मरीजों में तेजी से फैल रही है। इस बीमारी से अब तक कई लोग अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं।
गुजरात में अभी तक ब्लैक फंगस के 700 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। राज्य में इस बीमारी से अभी तक 60 मरीजों की मौत हुई है। इसमें सर्वाधिक 20 मौतें अहमदाबाद में हुई हैं, जबकि सूरत में 16, वडोदरा में 15 और सौराष्ट्र में 9 मरीजों ने जान गंवाई है। राज्य में 15 से ज्यादा रोगियों ने अपनी आंखें गंवाई हैं। सूरत में 150 रोगियों का इलाज चल रहा है। सूरत के 3 अस्पताल में अभी तक 91 ऑपरेशन किया गया है, 16 रोगियों की मौत हुई है और 10 रोगियों की आंख निकालनी पड़ी है। राजकोट जिला सिविल अस्पताल के अधीक्षक आर.एस. त्रिवेदी ने बताया कि ब्लैक फंगस के लिए बनाए गए अलग वार्ड में इस समय 200 से अधिक मरीजों का इलाज चल रहा है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम रोजाना 6 से 8 मरीजों का ऑपरेशन कर रही है। अस्पतालों में 500 बेड की तैयारी का काम चल रहा है।
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों को ब्लैक फंगस के उपचार केंद्र के रूप में उपयोग करने का निर्णय लिया है। राज्य में कम से कम आठ मरीजों की एक आंख की रोशनी चली गई है। ठाणे जिले में बुधवार को दो मरीजों ने दम तोड़ दिया था। राज्य में अब तक ब्लैक फंगस से 52 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि इन मौतों की राज्य सरकार ने पुष्टि नहीं की है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने दावा किया है कि इस बीमारी से अब तक 52 लोगों की मौत हो चुकी है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के मुताबिक राज्य में इस समय ब्लैक फंगस के 1500 से अधिक मरीजों का इलाज जारी है। स्वास्थ्य विभाग ब्लैक फंगस को लेकर सतर्क है। कोरोना मरीजों में भी ब्लैक फंगस के लक्षण पाए जा रहे हैं। इस बाबत प्रशासन पूरी तरह से तैयार है।
उत्तर प्रदेश के मथुरा और आगरा जिले में भी ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं। मथुरा जिले में दो मरीजों में दो दिन पहले स्वास्थ्य विभाग ने ब्लैक फंगस की पुष्टि की थी। जिले के प्रेमगली वनखंडी वृंदावन निवासी 72 वर्षीय वृद्ध महिला और मानसनगर महोली रोड निवासी युवक के ब्लैक फंगस से संक्रमित होने का मामला सामने आया था। युवक को आंखों से दिख नहीं रहा था। युवक की आंखों का ऑपरेशन कराया गया है। आगरा जिले में भी दो दिन पहले एक मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई थी। प्रदेश में शुक्रवार को कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।
मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस के अब तक 89 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इंदौर के एमवाय सरकारी अस्पताल में 13 मरीज भर्ती हैं, जिसमें से दो की मौत हो गई है। नरसिंहपुर जिले में छह संक्रमित मिले हैं, जिसमें से दो मरीजों की मौत हो चुकी है। भोपाल में 70 मरीज मिले हैं, जिसमें से 23 मरीज हमीदिया अस्पताल में भर्ती हैं। हमीदिया अस्पताल में ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए 30 बेड हैं। उज्जैन के आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में गुरुवार को 30 वर्षीय एक महिला का ब्लैक फंगस का ऑपरेशन हुआ। नेत्र सर्जन डॉ.सुधाकर वैद्य की टीम ने महिला का ऑपरेशन करके ब्लैक फंगस निकाल दी और उसकी दोनों आंखें बचा लीं। शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज में चौथा ऑपरेशन हुआ। डॉक्टरों को आशंका है कि मरीज की एक आंख प्रभावित हो सकती है।
राजस्थान में पिछले एक सप्ताह में ब्लैक फंगस के 80 से 100 मरीज सामने आए हैं। यह जानकारी निजी क्लीनिक जैन ईएनटी के डॉक्टर सतीश जैन ने दी है। राज्य सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई ऑफिशियल आंकड़े जारी नहीं किए हैं। मौतों को लेकर भी कोई ऑफिशल वर्जन नहीं दिया गया है। डॉक्टर सतीश जैन ही मरीजों के ऑपरेशन कर रहे हैं। फिलहाल एक-दो दिन में ऐसे मामले सामने नहीं आए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस संबंध में चिंता जाहिर करते हुए गुरुवार को एक ट्वीट किया था। मुख्यमंत्री गहलोत ने लिखा था- राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आना बहुत चिंताजनक है। ऐसी जानकारी मिली है कि यह बीमारी कोरोना से ठीक हुए डायबिटीज के रोगियों में अधिक हो रही है। इस बीमारी से पीड़ित की आंखों की रोशनी जाने के साथ जबड़े तक को निकालने की नौबत आ रही है। भारत सरकार को इसे गंभीरता से लेकर इसकी रोकथाम के लिए रिसर्च करवानी चाहिए। साथ ही इस बीमारी की रोकथाम एवं इलाज में काम आने वाली जरूरी दवाइयों एवं इंजेक्शन की व्यवस्था भी कर लेनी चाहिए।
तेलंगाना राज्य में ब्लैक फंगस के 70 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं। इसमें छह की मौत हो चुकी है, जबकि तीन की आंखों की रोशनी चली गई है। बिहार में अब तक नौ मरीज मिले हैं, जिसमें पटना में छह, भागलपुर में दो और मुजफ्फरपुर में एक मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। झारखंड में अब तक छह मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है, जिसमें दो महिला मरीजों ने दम तोड़ दिया है। हरियाणा में ब्लैक फंगस के अब तक 40 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें 12 फरीदाबाद और 14 गुरुग्राम के मामले भी शामिल हैं। इसके अलावा करनाल, फतेहाबाद और अन्य जिलों से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को ब्लैक फंगस का कोई मामला सामने नहीं आया है।
छत्तीसगढ़ में अब तक 31 मरीज मिले हैं। दुर्ग जिले के भिलाई शहर में तीन दिन पहले एक युवक की कोरोना से स्वस्थ्य होने के बाद ब्लैक फंगस से मौत हुई है। एक महिला की आंख की रोशनी चली गई। शुक्रवार को राज्य में एक भी मरीज नहीं मिले हैं। दुर्ग के जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉ. गंभीर सिंह ठाकुर ने भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत श्रीनिवास राव (35) की ब्लैक फंगस से मौत की पुष्टि की है। श्रीनिवास राव कोरोना से स्वस्थ हो चुका था, अचानक फिर स्वास्थ्य खराब होने पर उसे रायपुर स्थित रामकृष्ण केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत बिगड़ने पर उसे भिलाई के जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र रेफर कर दिया गया था, जहां युवक ने दम तोड़ दिया था। युवक डायबिटीज से ग्रसित था।
ब्लैक फंगस के लक्षण
म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस या काली फफूंद एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है। ये म्यूकर फफूंद के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार ब्लैक फंगस की पहचान इसके लक्षणों से की जा सकती है। इसमें नाक बंद हो जाना, नाक एवं आंख के आसपास दर्द व लाल होना, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस फूलना, खून की उल्टियां, मानसिक रूप से अस्वस्थ होना शामिल है। यह कोरोना संक्रमित उन मरीजों पर सबसे ज्यादा अटैक कर रहा है, जिनको शुगर की बीमारी है। यह इतनी गंभीर बीमारी है कि मरीजों को गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती करना पड़ रहा है। ब्लैक फंगस के किसी भी लक्षण को हल्के में ना लें।