कोलकाता, 16 अक्टूबर (हि.स.)। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में 42 में से 18 सीटें जीतकर बंगाल में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा दी है। अब दो साल बाद 2021 में विधानसभा का चुनाव होना है। उसके पूर्व राज्य भर में पार्टी बड़े पैमाने पर सांगठनिक मजबूती बढ़ाने पर ध्यान रही है। संगठन के जनाधार में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन भाजपा के लिए राजधानी कोलकाता और आस-पास के क्षेत्रों में पार्टी का विस्तार करना उसके लिए एक बड़ी चुनौती है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को 40 फीसदी से अधिक वोट मिले जो अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का मतदान था। राजधानी कोलकाता और आसपास हावड़ा और दक्षिण 24 परगना में पार्टी का प्रदर्शन उत्साहजनक नहीं था। यहां बड़े पैमाने पर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। इसके अलावा बांग्लादेश सीमा से सटे मुर्शिदाबाद और बीरभूम जिले में भी पार्टी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं था।
2021 का विधानसभा चुनाव से पूर्व इन क्षेत्रों में पैठ बनाना भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। बकौल प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष अगर भाजपा राजधानी कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में अपनी जीत सुनिश्चित नहीं करती है तो जीत अधूरी रह जाएगी। दरअसल, 2021 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए पार्टी ने बड़े पैमाने पर रणनीति बनाकर उसे लागू करना शुरू किया है। पार्टी का सबसे बड़ा मुद्दा पश्चिम बंगाल में अवैध तरीके से रह रहे घुसपैठियों को भगाने के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने की प्रतिबद्धता यहां के मूल निवासियों को रास आ रहा है और लोग चाहते हैं कि बंगाल में रहने वाले बांग्लादेशियों को खदेड़ा जाए। दूसरी बात है कि विगत सालों में तृणमूल कांग्रेस के हिंसक शासन से लोग तंग आ चुके हैं और किसी भी तरह से राज्य में परिवर्तन चाहते हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने राज्य भर के 79000 बूथों पर सक्रिय सदस्यों की संख्या सुनिश्चित करने के लिए सांगठनिक चुनाव शुरू किया है। 64000 बूथों पर सदस्यों का चुनाव पूरा हो चुका है बाकी पर चल रहा है। खबर है कि 9 नवंबर तक राज्य भर में पार्टी के मंडल अध्यक्षों का चुनाव और नई कमेटी का गठन भी पूरा कर लिया जाएगा। जिसके बाद मूल रूप से कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में लोगों तक पहुंचने के लिए रणनीति बनाई जाएगी।