तर्क और चिंतन की मौलिकता से विकसित राष्ट्रवाद में अहम भूमिका निभाएं अधिवक्ता : राकेश सिन्हा

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बेगूसराय, 01 अगस्त (हि.स.)। राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा है कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत विकसित राष्ट्रवाद के साथ दुनिया में अपना परचम लहरा रहा है।

भाजपा सांसद ने कहा कि मुगल काल से पूर्व का वाले रूप को प्राप्त कर रहा है। भारत अपने वैशिष्ट्य को लेकर आगे बढ़ रहा है। लेकिन दुनिया में कुछ ताकतें हैं जो भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। विश्व स्तर पर चिकित्सा को लेकर चर्चित तथा चीन से संपादित पत्रिका भारत की सही स्थिति बताने के बदले लगातार विरोध कर रही है और कांग्रेस उस पत्रिका का समर्थन करता है। यह कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष का दिवालियापन है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा राष्ट्रहित के बदले सत्ता को सर्वोपरि मानता है। दुनिया की कुछ ताकतें भारत के उभरते शक्ति को पीछा दिखाना चाहती है और कांग्रेस देश का समर्थन करने के बदले और विदेशी ताकतों का समर्थन करती है। जिसके कारण वह परिवार में सिमट कर रह गई, कांग्रेस मूल्यहीन हो गई है।

उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी की नेतृत्व वाली सत्ता निरंकुश हो गई थी तो जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में पूरे देश में उसका विरोध हुआ था। जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी को सत्ता से हटाने के लिए किसी विदेशी ताकत का सहारा नहीं लिया था, लेकिन आज उसका उल्टा हो रहा है।

भाजपा विधि प्रकोष्ठ द्वारा वर्तमान राजनीति में अधिवक्ताओं की भूमिका विषयक वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा कि अधिवक्ताओं ने अपने व्यवसाय को हमेशा से राष्ट्रहित के प्रति समर्पित किया है, कल भी समर्पित किया, आज भी समर्पित किया कर रहे हैं और कल भी समर्पित करेंगे। अधिवक्ताओं ने संविधान सभा और ड्राफ्टिंग कमेटी में भी बेहतरीन भूमिका निभाई थी। आज के विकसित राष्ट्रवाद में भी उनकी भूमिका अहम है। अधिवक्ता समाज के यथार्थ से परिचित होते हैं और बड़े मनोवैज्ञानिक होते हैं। समाज के साथ सबसे अधिक संवाद करने विशिष्टता होती है। आज के दौर में बुनियादी प्रश्नों के साथ कैसे समाज सुधरे यह जिम्मेवारी निभानी होगी। इन्हें सामंतवादी, जातिवादी चरित्र और राजनीति के न्यूनता से समाज को बाहर निकालने के लिए काम करना होगा। समाज की सबसे बड़ी कठिनाई रूल ऑफ लॉ से पीछे हटना है, जिसके कारण बने अर्ध अराजकता के वातावरण से नई पीढ़ी बर्बाद हो रही है। अधिवक्ता मौलिकता का सृजन करते हैं, इसके लिए उन्हें चिंतन करना पड़ता है और अदालत में दलील पेश करने से तर्क उभरता है। तर्क और चिंतन की मौलिकता दुनिया में सिर्फ अधिवक्ताओं के पास है। इन्हें राष्ट्र, समाज और मानवता के लिए काम करना होगा। कोर्ट के बाहर का अधिवक्ता ही गांधी, नेहरू, पटेल और अय्यर बनकर उभरता है। बिहार एक ऐसा राज्य है, जहां प्रादेशिकता कि भावना नहीं है, यह आर्यावर्त का पहला साम्राज्य था। तर्क के आधार पर बना साम्राज्य चिर निरंतर कायम रहता है। वही तर्क हर सकारात्मक साम्राज्य के लिए हर बिहारी के मन में लाना होगा। व्यवसाय की सीमा को लांघते हुए समाज को बदलने की चुनौती स्वीकार करनी होगी। समाज में मिसाल कायम करना होगा, नए पौध के लिए जीवंत उदाहरण बनना होगा। क्योंकि छोटा काम ही समाज को प्रेरणा देता है। राष्ट्रवाद सिर्फ जय श्रीराम और भारत माता का जयकारा लगाने से नहीं होगा, दोनों नारा के चरित्र की पृष्ठभूमि वाली ताकत कायम रहे, यह सोचना होगा, समाज के अंदर जाकर समाज को नई दिशा देनी होगी।

बैठक को भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक तारकेश्वर ठाकुर, बैठक प्रभारी सत्येंद्र कुमार झा, प्रमंडल प्रभारी जय शंकर शर्मा आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन विधि प्रकोष्ठ के जिला संयोजक ऋषिकेश पाठक, स्वागत सुदर्शन कुमार तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अंजनी प्रसाद सिंह ने किया। वर्चुअल बैठक में बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं के अलावा भाजपा नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हुए।


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