मनोहर के पूर्व मंत्रियों ने गिनाए हार के तर्क, जाट और पिछड़ों का नहीं जीत पाए भरोसा

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कविता जैन ने कहा -प्रशासन ने नहीं किया सहयोग तो कांबोज बोले-सहमति के बिना बदला हलका



चंडीगढ़, 02 नवम्बर (हि.स.)। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पुरानी कैबिनेट का हिस्सा रहे मंत्रियों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री के सामने अपनी-अपनी हार के कारण गिनाए। चुनाव के बाद पहली बार आयोजित इस बैठक में हारे हुए सभी मंत्रियों के अलावा उन्हें भी बुलाया गया था जिन्हें चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिला था।

बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मिशन फेल होने पर मंथन शुरू कर दिया है। बैठक में पूर्व स्पीकर कंवरपाल गुर्जर, पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव, प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला व संगठन महामंत्री सुरेश भट्ट, विपुल गोयल तथा राव नरबीर भी मौजूद रहे। सूत्रों के अनुसार विपुल गोयल और राव नरबीर कुछ नहीं बोले। उन्होंने केवल हारने वाले मंत्रियों का दुख ही सुना।

हरियाणा में सबसे बड़ी हार का सामना करने वाले प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला भी चुपचाप हार के कारणों को सुनते रहे। बैठक में फरवरी-2016 के जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा का मुद्दा भी उठा। बादली से चुनाव हारे पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने दो-टूक कहा, जाट आंदोलन के बाद हम जाटों का विश्वास नहीं जीत सके। इस वजह से प्रदेशभर के जाट हमारे खिलाफ हो गये। हार के बाद सुर्खियों में रहे पूर्व मंत्री कर्णदेव काम्बोज ने कहा, जाटों का क्या हम तो पिछड़ों का भी विश्वास नहीं जीत सके। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने काम्बोज पर सवाल छोड़ते हुए कहा, आपने अपना हलका क्यों बदला।
दरअसल, काम्बोज 2014 में करनाल के इंद्री हलका से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। इस बार उन्हें रादौर से चुनाव लड़वाया गया। विज के सवाल पर काम्बोज ने कहा, हलका मेरी पसंद पर नहीं बदला गया। मुझे तो मुख्यमंत्री ने कहा था कि आपको रादौर से टिकट दे रहे हैं। सीएम ने कांबोज को बीच में रोकते हुए कहा कि हमने तो आपकी राय जानी थी। काम्बोज ने पलटवार करते हुए कहा कि उनकी मर्जी से नहीं बल्कि रादौर हलका उनपर थोपा गया था। सोनीपत से चुनाव हारने वाली पूर्व कैबिनेट मंत्री कविता जैन ने कहा, प्रशासन ने साथ नहीं दिया। कांग्रेस उम्मीदवार पर पैसों के दुरुपयोग के आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, लोगों को गुमराह किया गया। वोट खरीदे गये। विकास गौण रह गया।
बताते हैं कि बैठक में बिजली निगमों के खिलाफ भी कई पूर्व मंत्रियों ने भड़ास निकाली। उनका कहना था कि निगम समय पर तो रीडिंग लेते नहीं। चुनाव के दौरान ही पिछली यूनिट भी जोडक़र मोटी राशि के बिल लोगों के घरों में भेज दिए गए। इससे लोगों में नाराजग़ी हुई। पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा, चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा सही ढंग से विपक्षी दलों पर अटैक नहीं कर सकी। पूर्व राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा, नई दिल्ली में संत रविदास मंदिर को तोड़े जाने की घटना का अनुसूचित जाति के लोगों में प्रभाव था। इसका नुकसान हमें चुनावों में हुआ। पूर्व परिवहन मंत्री और इसराना से चुनाव हारने वाले कृष्णलाल पंवार ने कहा, जाटों के गुस्से की वजह से हमें हार का मुंह देखना पड़ा।
पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो.रामबिलास शर्मा ने किसी पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने की बजाय कहा कि पुरानी बातों को याद करने का अब कोई मतलब नहीं है। हमें भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। जेजेपी के गठबंधन से फिर से हमारी सरकार बनी है और अब हमें आगे की रणनीति तय करनी चाहिए। पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर ने कहा, हम कांग्रेस से नहीं हारे बल्कि भाजपा के ही कारण हार हुई है।

 


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