लखनऊ, 25 नवम्बर (हि.स.)। भ्रष्टाचार पर अकुंश लगाने के लिए योगी सरकार सख्त होती जा रही है। इसके लिए कार्रवाई में किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं दिख रही, चाहे वह उच्च अधिकारी हो या कर्मचारी। यही कारण है कि अब तक अधिकारियों और कर्मचारियों पर हुई कार्रवाई का आंकड़ा 600 के पार पहुंच चुका है। इन कार्रवाइयों में सबसे आगे ऊर्जा विभाग है, जहां पर 170 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। वहीं गृह विभाग ने 51 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ का ध्यान भ्रष्टाचार मुक्त शासन और परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा सुधार पर विशेष है। इसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए। यही कारण है कि आज परिषदीय विद्यालयों के पठन-पाठन में काफी सुधार देखने को मिल रहा है। अध्यापक समय से स्कूल पहुंचे, इसके लिए सरकार ने कई व्यवस्था किये।
इसके अलावा भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए सरकार ने एक कमेटी भी गठित की, जो हर विभाग के अधिकारियों की रिपोर्ट प्रस्तुत करती है। यह कमेटी प्रमाण के साथ डाटा भी तैयार कर शासन को भेजती है, जिससे विभागों के भ्रष्टाचार पर काफी अंकुश लगा, जो अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त पाये गये, उनके खिलाफ सरकार ने सख्त कदम उठाये।
हाल ही में खुले भविष्य निधि घोटाले, होमगार्ड ड्यूटी घोटाले सहित इससे पहले लापरवाही और भ्रष्टाचार की शिकायतों पर अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई होती रही। अभी नोएडा भूखंड आवंटन की धांधली में फंसे वरिष्ठ आइएएस अधिकारी राजीव कुमार- द्वितीय को सरकार ने जबरन सेवानिवृत्त करने के लिए नोटिस दिया है। सूत्रों के अनुसार राजीव कुमार- द्वितीय को शामिल कर पूरा आंकड़ा 600 का हो चुका है। ढाई साल में योगी सरकार द्वारा की गई कार्रवाइयों के आंकड़ों पर गौर करें तो अब तक विभिन्न विभागों में 200 अधिकारियों व कर्मचारियों को जबरन सेवा निवृत्ति दिया जा चुका है। इसके अतिरिक्त बर्खास्तगी, निलंबन व पदावनत के मामले में ऊर्जा विभाग अव्वल है, जहां 170 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। गृह विभाग में 51, परिवहन विभाग में 37, राजस्व विभाग में 36, बेसिक शिक्षा विभाग में 26, लोक निर्माण विभाग में 18, श्रम विभाग में 16, वाणिज्य कर विभाग में 16, संस्थागत वित्त विभाग में 16 के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है।