बीजापुर नक्सली हमले की साजिश खूंखार नक्सली हिडमा ने रची थी

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नागपुर, 04 अप्रैल (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में शनिवार को नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में अब तक 22 जवानों के शहीद होने की जानकारी मिली है। मुठभेड़ में घायल 31 जवानों में से सात की हालत गंभीर बनी हुई है। मुठभेड़ में कम से कम 10 नक्सली भी मारे गए हैं। नक्सलियों ने टैक्टिकल काउंटर ऑफेन्सिव कैम्पेन (टीसीओसी) के तहत इस हमले को अंजाम दिया है। पुलिस के आला अधिकारियों के मुताबिक खूंखार नक्सली हिडमा ने इस हमले की साजिश रची थी।
पुलिस के आला अधिकारियों के मुताबिक जंगल के सहारे हिंसा को अंजाम देने वाले नक्सली मार्च से मई माह के दरम्यान टैक्टिकल काउंटर ऑफेन्सिव कैम्पेन (टीसीओसी) चलाते हैं। इस दौरान नक्सली वारदात अधिक होते हैं लेकिन इस बार 10 मार्च 2021 को महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित अबुझमाड के जंगलों में पुलिस की ‘सर्जिकल-स्ट्राइक’ ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी थी। इसी का बदला लेने के लिए नक्सली हिडमा ने करीब 200 नक्सलियों के साथ वारदात को अंजाम दिया।
जानकारी के अनुसार बीजापुर में तर्रेम इलाके के तेकुलागुदेम के पास नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पर सुकमा-बीजापुर से सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस की ज्वॉइंट पार्टी उतारी गई थी। सुरक्षाबलों का यह अभियान नक्सलियों के सबसे बड़े पीपुल्स लिबरेशन ग्रुप आर्मी प्लाटून वन में से एक हिडमा के गढ़ में था। इस इलाके में हिडमा ने एम्बुश लगाया था। पुलिस को चारों ओर से घेरकर मारने की नक्सली रणनीति को एम्बुश कहा जाता है। नक्सली कमांडर हिडमा ने मार्च में हुई पुलिस की ‘सर्जिकल-स्ट्राइक’ का बदला लेने के लिए टीसीओसी के तहत यह एम्बुश लगाया था। इसी एम्बुश के जाल में सुरक्षाबल के जवान फंस गए। नतीजतन गांव और खेत दोनों जगहों पर नक्सलियों ने जवानों को घेरकर देसी राकेट लांचर से हमले को अंजाम दिया।
क्या है टीसीओसी  
नक्सलियों से लड़ने का लंबा तजुर्बा रखनेवाले सेवानिवृत्त विशेष पुलिस महानिरीक्षक रवींद्र कदम ने टीसीओसी के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि नक्सली मार्च से मई तक के इन तीन महीनों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए प्रयासरत होते हैं। बतौर कदम बरसात के दिनों में महाराष्ट्र की इंद्रावती और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर काफी बढ़ जाता है। नतीजतन नक्सली बारिश के मौसम में महाराष्ट्र से सटे छत्तीसगढ़ स्थित घने जंगलों में छिपे रहते हैं। वहीं फरवरी माह से इन नदियों का पानी सूखने लगता है, जिसके चलने नक्सलियों को छत्तीसगढ़ से महाराष्ट्र की सीमा में घुसना आसान हो जाता है। फरवरी में पतझड़ शुरू होने की वजह से जंगली इलाकों में विजिबिलिटी बढ़ जाती है। इससे नक्सलियों को दूर तक नजर रखने में आसानी होती है। इसलिए टीसीओसी के लिए नक्सली अक्सर मार्च से मई माह का समय चुनते हैं। कदम ने बताया कि इसी दौरान नक्सलियों के पुलिस पर हमले बढ़ जाते हैं।
टीसीओसी के दौरान हुए हमले
– दंतेवाड़ा में 15 मार्च 2007 को हुए नक्सली हमले में 15 पुलिसकर्मी शहीद।
– गढ़चिरौली में 22 मार्च 2009 को नक्सली हमले में 16 पुलिसकर्मी शहीद।
– दंतेवाड़ा में 6 अप्रैल 2010 को नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 75 जवान शहीद।
– छत्तीसगढ़ के सुकमा में 25 मई 2013 को कांग्रेस के 25 नेताओं की हत्या।
– गढ़चिरौली के जांभुलखेड़ा में 01 मई 2019 को आईईडी ब्लास्ट में 15 पुलिसकर्मी शहीद।
– बीते कुछ वर्षों में नक्सलियों ने गढ़चिरौली के मरकेगाव, गत्तीगोटा, मुरमुरी में टीसीओसी दौरान बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है।

 


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