बिश्केक घोषणा पत्र में आतंकवाद और उग्रवादी विचारधारा से लड़ने का संकल्प

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बिश्केक घोषणा पत्र में भारत के इस सुझाव का भी समर्थन किया गया कि आतंकवाद के खिलाफ सभी की सहमति से एक अंतरराष्ट्रीय कानून बनाया जाना चाहिए। घोषणा पत्र में कहा गया कि किसी भी देश को प्रछन्न युद्ध के रूप में किसी अन्य देश के खिलाफ आतंकवादियों और मजहबी उग्रवादियों का उपयोग नहीं करना चाहिए।



बिश्केक, किर्गिजस्तान, 14 जून (हि.स.)। आतंकवाद के बारे में भारत की चिंता और आतंकवाद के सफाये की जरूरत को स्वीकार करते हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर वार्ता में घोषणा की गई है कि आतंक और उग्रवाद को किसी भी आधार पर जायज नहीं ठहराया जा सकता। एससीओ ने आतंकवाद और उसकी विचारधारा का सफाया करने के लिए व्यापक रूप से कार्रवाई किए जाने पर भी जोर दिया है।

बिश्केक में शुक्रवार को संपन्न शिखर वार्ता के बाद 14 पेज का बिश्केक घोषणा पत्र जारी किया गया। इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित सभी सदस्य देशों के नेताओं के हस्ताक्षर हैं। घोषणा पत्र जारी होने के पूर्व विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) जीतेश शर्मा ने कहा था कि इस दस्तावेज में भारत की अपेक्षा के अनुरूप आतंकवाद के खिलाफ कड़ी भाषा का प्रयोग किया जाएगा।

घोषणा पत्र में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एससीओ सदस्य देशों की आतंकवाद विरोधी प्रणाली (रैट) को व्यापक और कारगर बनाने का निश्चय किया गया है। एससीओ ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद मजहबी उग्रवादी विचारधारा, विदेशों में आतंकवादी कार्रवाई करने वाले जिहादियों की स्वदेश वापसी सुरक्षा संबंधी खतरे पैदा कर रही है। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को हर प्रकार के आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए आपस में सहयोग करना चाहिए। इस अभियान में संयुक्त राष्ट्र संघ की केंद्रीय भूमिका होनी चाहिए।

बिश्केक घोषणा पत्र में भारत के इस सुझाव का भी समर्थन किया गया कि आतंकवाद के खिलाफ सभी की सहमति से एक अंतरराष्ट्रीय कानून बनाया जाना चाहिए। घोषणा पत्र में कहा गया कि किसी भी देश को प्रछन्न युद्ध के रूप में किसी अन्य देश के खिलाफ आतंकवादियों और मजहबी उग्रवादियों का उपयोग नहीं करना चाहिए।

घोषणा पत्र की शब्दावली से यह प्रतीत होता है कि चीन और पाकिस्तान ने आतंकवाद के बारे में अपने नजरिये को सामने रखने की भी कोशिश की। दस्तावेज में कहा गया है कि जिन कारणों से आतंकवाद और उग्रवाद पनपता है, उनकी पहचान कर उन्हें समाप्त करने का प्रयास होना चाहिए। साथ ही आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर किसी अन्य देश के घेरलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। आतंकवाद विरोधी अभियान में दोहरा मापदंड नहीं अपनाया जाना चाहिए, न ही इसका राजनीतिकरण होना चाहिए।

एससीओ ने कहा कि दुनिया का घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है।दुनिया में नया शक्ति संकलन पैदा हो रहा है। विकास के केंद्र अब एशिया में उभर रहे हैं। एक ओर दुनिया के देशों के बीच संपर्क और परस्पर निर्भरता बढ़ रही है, वहीं आर्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बाधा डालने की कोशिश की जा रही है। घोषणा पत्र में कुछ देशों द्वारा संरक्षणवादी नीतियों के जरिए एकतरफा रूप से विश्व व्यापार को प्रभावित किये जाने की आलोचना की गई।

एससीओ सदस्य देशों ने विश्व आर्थिक प्रशासन को पारदर्शी और टिकाऊ बनाने के लिए विश्व व्यापार संगठन की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन कर एकतरफा संरक्षणवादी फैसलों से विश्व अर्थव्यवस्था और व्यापार को खतरा है।

घोषणा पत्र में चीन की पहल वाली बेल्ट एंड रोड संपर्क परियोजना के बारे में भारत की असहमति भी उजागर हुई। भारत को छोड़कर अन्य सभी सात देशों ने इस परियोजना का समर्थन किया है।


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