बर्थडे स्पेशल 27 अक्टूबर : काफी कष्टदायी रही है गायिका अनुराधा पौडवाल की निजी जिंदगी

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गायिकी की दुनिया की सुरीली और मधुर आवाज की धनी अनुराधा पौडवाल की आवाज में वह जादू है, जिसे सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। 27 अक्टूबर 1954 को जन्मी अनुराधा पौडवाल को बचपन से ही संगीत में खास रुचि थी।अनुराधा पौडवाल ने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत 1973 में आई अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी स्टारर फिल्म ‘अभिमान’ से की थी। लेकिन, उन्हें पहला बड़ा ब्रेक 1976 में सुभाष घई ने अपनी फिल्म ‘कालीचरण ‘ में मिला था। इस फिल्म में उन्होंने ‘एक बटा दो’ गीत गाया था, जिसके बाद अनुराधा ने अपनी सुरीली आवाज से हर किसी का ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद तो अनुराधा को एक के बाद एक कई फ़िल्मी गीतों के ऑफर मिलने लगे।

उनके गाये गीतों में नजर के सामने (आशिकी), दिल है कि मानता नहीं( दिल है कि मानता नहीं), धक- धक करने लगा( बेटा), तू मेरा हीरो है (हीरो), कह दो कि तुम हो मेरे(तेजाब), तेरा नाम लिया( राम लखन), बहुत प्यार करते है (साजन) आदि शामिल हैं, जो आज भी काफी मशहूर है और दर्शकों के बीच काफी पसंद किये जाते हैं। 90 के दशक में अनुराधा पौडवाल बॉलीवुड में अपने करियर की ऊंचाइयों पर थी , लेकिन तभी उन्होंने फ़िल्मी गीतों से किनारा करना शुरू कर दिया कर ज्यादातर भक्ति गीत ही गाने लगी।

अनुराधा पौडवाल की निजी जिंदगी की बात करें तो उनका निजी जीवन काफी कष्टदायी रहा। अनुराधा पौडवाल ने अरुण पौडवाल से शादी की जो खुद भी संगीतकार थे। इस शादी से अनुराधा के दो बच्चे बेटा आदित्य और बेटी कविता हुई। अनुराधा एक खुशहाल जीवन गुजार रही थी, लेकिन अचानक एक दिन एक दुर्घटना में उनके पति अरुण पौडवाल की मृत्यु हो गई जिससे वह बुरी तरह टूट गईं। इसके बाद अनुराधा ने अपने दोनों बच्चों की परवरिश अकेले ही की। लेकिन साल 2020 में उनके एकलौते बेटे आदित्य का किडनी की बीमारी के कारण निधन हो गया। अनुराधा पौडवाल ने हिंदी के साथ -साथ तेलुगु, कन्नड़ और बंगाली भाषाओँ में भी कई गीत है। हालांकि अब वह गायन के क्षेत्र में कम ही सक्रिय हैं लेकिन उनके गाये गीत आज भी दर्शकों के बीच काफी पसंद किये जाते हैं। साल 2017 में संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया ।


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