बीजापुर, 09 अप्रेल(हि.स.)। जिले के तर्रेम थाना क्षेत्र में 03 अप्रेल को हुए मुठभेड़ के बाद एक जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को नक्सलियों ने ग्राम जोनागुड़ा से 15 किलोमीटर अंदर के इलाके में बंधक बनाकर रखा था। नक्सलियों के द्वारा जवान को छोड़ने के लिए शासन के द्वारा मध्यस्थों को नक्सलियों के बताये गये स्थान बीजापुर-सुकमा जिले के बॉर्डर पर ग्राम तोमलपाड़ भेजा गया। जहां पर बंधक जवान राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने जनअदालत लगाकर लगभग 20 ग्रामों के ग्रामीणों की मौजूदगी में शासन के मध्यस्थों को सौंप दिया गया। यह बताया गया कि नक्सलियों ने बिना किसी शर्त पर जवान को छोड़ दिया है। लेकिन इसके विपरीत जवान को छोड़ने के लिए एक गुप्त समझौते के तहत ग्राम जोनागुड़ा निवासी सुक्का माड़वी के बदले में जवान को रिहा किया गया है। नक्सलियों ने राकेश्वर सिंह को छोड़ने के बदले सुक्का की रिहाई की शर्त रखी थी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार और नक्सलियों के मध्य एक गुप्त समझौता हुआ था, जिसमें एक जवान राकेश्वर सिंह के बदले ग्राम जूनागुड़ा के निवासी सुक्का माड़वी को नक्सलियों को सौंपना था। इसका खुलासा तब हुआ, जब जवान राकेश्वर सिंह की रिहाई के लिए पत्रकारों की टीम मध्यस्थों के साथ नक्सलियों के द्वारा निर्धारित स्थल बीजापुर-सुकमा जिले के बॉर्डर पर ग्राम तोमलपाड़ में पहुंची। यहां यह बताया जाना आवश्यक है कि 03 अप्रेल को बीजापुर मुठभेड़ स्थल जूनागुड़ा से सुरक्षाबलों ने कुंजाम सुक्का को अपने कब्जे में लिया था। नक्सलियों ने राकेश्वर सिंह को छोड़ने के बदले इस कुंजाम सुक्का की रिहाई की शर्त रखी थी। तय योजनानुसार सुरक्षा बलों ने सुक्का माड़वी को मध्यस्थों के साथ नक्सलियों के पास भेजा गया था। मध्यस्थों से पहले सुक्का माड़वी को अपने कब्जे में लेने के बाद नक्सलियों ने जवान राकेश्वर सिंह को मध्यस्थों के हवाले कर दिया।
मध्यस्थों में शामिल गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बरैया ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए बताया कि जब मध्यस्थ नक्सलियों के बताये स्थान पर पहुंचे तो नक्सलियों की एक महिला लीडर उनके पास आई और उनसे पूछा कि पुलिस ने एक ग्रामीण को पकड़ा था, क्या उन्हें छोड़ा गया। जिस पर उन्होंने कहा कि वे उसे अपने साथ में लाए हैं, उन्हें छोड़ दिया गया है।
जेल रिहाई मंच की सोनी सोरी ,आदिवासी समाज के प्रवक्ता संजय पंत और कुछ पत्रकार भी जवान की रिहाई के लिए स्वयं प्रयास करते हुए निकले थे।ये लोग अपने सूत्र के माध्यम से ग्राम जोनागुड़ा ,सुक्का माड़वी के घर पहुंचे थे। जहां माड़वी के परिजनों ने उन्हें बताया था कि सुक्का जवानों के कब्जे में है। जिसे छोड़ने की अपील इन्होंने भी किया था।अंतत:नक्सलियों के साथ जवान को छोड़ने के बदले यही तय हुआ कि सुक्का माड़वी को रिहा किया जावे ,जिसे नक्सलियों को मध्यस्थों के माध्यम से सौंप दिया गया है।इस मामले में शासन की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है ।