17वीं बिहार विधानसभा का सत्र कल से

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प्रोटेम स्पीकर जीतनराम मांझी दिलाएंगे नव निर्वाचित विधायकों को शपथसत्र के तीसरे दिन नंदकिशोर यादव का विधानसभा अध्यक्ष चुना जाना तय90 विधायक पहली बार दिखेंगे बिहार विधानसभा में 



पटना, 22 नवम्बर (हि.स.)  17वीं बिहार विधानसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू होगा। इस बार कई बड़े चेहरे सदन में नहीं दिखेंगे। पिछली बार के करीब दो-तिहाई विधायक सदन में लौटकर नहीं आए हैं। कुछ टिकट की दौड़ में ही पिछड़ गए थे और कुछ हार गए। पहले दो दिन प्रोटेम स्पीकर जीतनराम मांझी नव निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाएंगे। तीसरे दिन विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा।

इस बार का विशेष सत्र इस मायने में भी खास होगा कि कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए दोनों सदनों की कार्यवाही की जगह बदल दी जाएगी। विधानसभा की कार्यवाही 23 नवम्बर से 27 नवम्बर तक नए बने सेंट्रल हॉल में चलेगी। इसी हॉल में पहले दो दिन सदस्यों को शपथ दिलाई जाएगी और 26 नवम्बर को राज्यपाल फागू चौहान बिहार विधानमंडल के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। विधान परिषद की दो दिनों तक  चलने वाली कार्यवाही को विधानसभा वेश्म में आयोजित किया जाएगा। संबंधित अधिसूचना रविवार को जारी की जा चुकी  है।

विधान परिषद की कार्यवाही भी पहली बार विधानसभा में होने जा रही है। मानसून सत्र के दौरान भी दोनों सदनों की जगह बदली गई थी। संसदीय व्यवस्था के करीब सौ वर्षों के इतिहास में पहली बार विधानमंडल परिसर से बाहर ज्ञान भवन में सत्र का आयोजन किया गया था। कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए मानसून सत्र की तरह ही इस बार भी बेहद सावधानी बरती जा रही है। पूरे परिसर को अभी से सैनेटाइज किया गया है। सभी विधायकों के लिए मास्क लगाना अनिवार्य होगा। सदन में भी दूर-दूर बैठने की व्यवस्था की जा रही है।

नवनिर्वाचित विधायकों को प्रोटेम स्पीकर जीतनराम मांझी सोमवार और मंगलवार को शपथ दिलाएंगे। बुधवार को बिहार विधानसभा के नए स्पीकर का चुनाव होना है। भाजपा के वरिष्ठ नेता नंद किशोर यादव का विधानसभा अध्यक्ष बनना लगभग तय है। तेजस्वी यादव को पहले ही राजद ने अपना नेता चुन लिया है। अब वे सदन में नेता प्रतिपक्ष की हैसियत में आ जाएंगे।

इस बार 90 नए चेहरे

पिछले सत्र के 154 चेहरे इस बार नहीं दिखेंगे। वे या तो हार गए हैं या टिकट वितरण के दौरान दलों ने भी उनपर दोबारा भरोसा नहीं किया। विधानसभा चुनाव में इस बार 90 विधायकों को पहली बार विधायक बनने का मौका मिला है, जबकि पिछले सत्र के सिर्फ 89 विधायकों की ही वापसी हुई है। 64 विधायक ऐसे भी हैं, जो पहले किसी न किसी चुनाव में जीतकर विधायक बनते रहे हैं।

 


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