पटना, 22 जुलाई (हि.स.)। सपने वे नहीं होते जो आपको नींद में आते हैं बल्कि सपने वे होते हैं जो आपको सोने ही नहीं देते। देश के महान वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम की इस पंक्ति को दोहराते हुए बिहार के लखीसराय जिले के बड़हिया प्रखंड के 24 साल के सोनू ने बिहार के युवाओं को यह संदेश दिया है।
सोनू वह शख्स है जिसने सोमवार को श्री हरिकोटा में मिशन चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण में अपनी भूमिका निभाकर बिहार का नाम देश में रौशन किया है। “भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में वैज्ञानिक बिहार के सोनू ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से विशेष बातचीत में बताया कि मिशन चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण पूरे देश के लिए गर्व की बात है और इसका हिस्सा बनाने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ ,मैं खुशकिस्मत हूं।
लखीसराय जिले के बड़हिया के ललन सिंह के बेटे सोनू चार भाई और एक बहन में तीसरे स्थान पर है। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 16 महीने से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (इसरो) में वैज्ञानिक के रूप में काम कर रहा है। अप्रैल 2018 में सोनू ने इसरो की परीक्षा पास की। ‘मिशन मून’ की तैयारी में लगे वैज्ञानिकों की टीम में सोनू ने काम किया है। संघर्ष भरी जिंदगी से गुजरने वाले सोनू के परिजनों ने कभी सोचा भी नहीं था कि उसकी वजह से उनके परिवार और बिहार का नाम रौशन होगा। झोपड़ी में गुजर बसर कर और आर्थिक तंगी से जुझते हुए सोनू ने अपनी स्कूली शिक्षा लखीसराय के सरकारी स्कूल से पूरी की। सोनू बताते हैं कि जब वह कक्षा नौवीं में थे तो गणित और भौतिक विज्ञान के शिक्षक रामसेवक सर ने कहा था कि तुम और बच्चों से अलग हो। उन्होंने सीबीएससी बोर्ड से आगे की पढ़ाई करने की सलाह मुझे दी जो मेरे कैरियर का टर्निंग पॉईंट था।
एक सिद्धांत की चर्चा करते हुए सोनू ने बताया कि अपनी गलती से नहीं, किसी और की गलतियों से सीखकर कर और बेहतर करना है। सोनू के कहा कि प्रधानमंत्री ने इसरो को सफलता के लिए बधाई दी यह मेरे लिए भी गर्व की बात है। छात्र जीवन पर बात की जाये तो बड़हिया से 2010 में मैट्रिक और 2012 से बालिका विद्यापीठ से 12वीं की परीक्षा पास करने वाले सोनू की लगन, मेहनत और नॉलेज ने पिता ललन सिंह की आर्थिक तंगी को मात दे दी। ललन सिंह ने सोनू के बड़े भाई विकास कुमार के सहयोग से काफी जद्दोजहद के बाद आईआईटी और डब्ल्यूबी मेंस निकालने वाले मेधावी सोनू को बंगाल की जाधवपुर यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवायी जिसकी बदौलत उसने आज इसरो में वैज्ञानिक की सेवा देकर मिशन चंद्रयान-2 में अपना नाम कमाया।
सोनू ने 2017 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। सोनू के पिता ललन सिंह को सोनू की इस सफलता पर गर्व है। उनके अनुसार सोनू विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद् अल्बर्ट आइंस्टीन को अपना प्रेरणास्रोत मानता है। वह बचपन से ही मेहनती और घर की परिस्थितियों को समझने वाला था। इसका प्रमाण आज उसे खुद दे दिया है।