पटना, 18 सितंबर (हि.स.)। देश में कोरोना महामारी के कहर से लाखों लोग असमय काल के गाल में समा गए। बिहार में भी उसका असर हुआ लेकिन अन्य राज्यों के मुकाबले कम पड़ा। प्रदेश में जमीनी स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के नेटवर्क विस्तार ने यहां प्रदेश में कोरोना के असर को कमजोर किया। बिहार सरकार ने हाल के वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का दो प्रतिशत स्वास्थ्य सुविधाओं की संरचना विकसित करने में खर्च की है। यह असम में 2.6 प्रतिशत के बाद देश में सबसे अधिक है। इसका खुलासा अंतरराष्ट्रीय संस्था ऑक्सफैम की ओर से राज्यों में स्वास्थ्य असमानता पर जारी रिपोर्ट से हुआ है।
वैश्विक गरीबी के उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित करने वाली संस्था ऑक्सफैम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में प्रति एक हजार आबादी में मात्र दो लोगों के कोरोना से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। उत्तराखंड के बाद यह देश में सबसे बेहतर है। उत्तराखंड में प्रति एक हजार आबादी में 0.3 लोगों के कोरोना से संक्रमित होने की पुष्टि हई। इसका मतलब है कि वहां 10 हजार में मात्र तीन संक्रमित हैं।ऑक्सफेम के विशेषज्ञों ने बिहार में इतने कम लोगों के संक्रमित होने का श्रेय असमानता घटाने में सरकारी पहल को दिया है। असमानता घटाने से मतलब सामाजिक और आर्थिक अंतर की खाई को पाटने के साथ ही सरकारी सुविधाओं को हासिल करने के अवसरों की असमानता को काफी हद तक दूर करना बताया है।
ऑक्सफैम की रिपोर्ट पहली व दूसरी दोनों लहर के प्रभाव के आकलन के बाद तैयार की गई है। इसमें कोरोना के कम असर के पीछे सामाजिक -आर्थिक व अवसरों की कम होती असमानता को सबसे अधिक महत्व दिया गया है। एजेंसियों के मानक के आधार पर ऑक्सफैम ने असमानता घटाने में बिहार का स्कोर 100 में 74 बताया है।
95.1 प्रतिशत लोग स्वस्थ होने में कामयाब
रिपोर्ट से सामने आया है कि प्रदेश में कोरोना से संक्रमित लोगों में से 95.1 प्रतिशत लोग इससे उबर गए। इन्हें कोरोना संक्रमित करने के बाद भी शिकार नहीं बना सका। ऑक्सफैम के विशेषज्ञों के मुताबिक इसका कारण सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था के एहतियातन कदम और जल्द से जल्द उपलब्धता रही। ऑक्सफैम के मुताबिक कोरोना से रिकवरी के मामले में केवल आंध्रप्रदेश ही बिहार से बेहतर रहा। आंध्रप्रदेश में बिहार से थोड़ा ज्यादा 96.2 प्रतिशत लोग कोरोना के संक्रमण से उबरे। ऑक्सफैम की ओर से स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जानकारी देने और जागरुकता फैलाने को लोगों की सेहत को दुरुस्त करने में अहम माना गया है। स्वास्थ्य सुविधाओं में असमानता को दूर करने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की सरकारी संरचना के अधिक से अधिक विस्तार का सुझाव दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि ऑक्सफैम एक ब्रिटिश स्थापित 20 स्वतंत्र धर्मार्थ संगठनों का संघ है, जो वैश्विक गरीबी के उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसकी स्थापना 1942 में हुई थी और इसका नेतृत्व ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने किया था। यह संचालन के व्यापक संग्रह के साथ एक प्रमुख गैर-लाभकारी समूह है।