राजद भी उतारेगा उम्मीदवार, 2 नामों की चर्चा तेज

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पटना, 27 नवम्बर (हि.स)। विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में मात खाने के बाद राजद राज्यसभा सीट पर अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहा है। हालांकि उन्होंने चेहरे का खुलासा नहीं किया है। चुनाव में जब दोनों ओर से उम्मीदवार उतरेंगे तो मतदान की स्थिति बन जाएगी। बताते चलें कि राज्यसभा चुनाव गुप्त मतदान से होता है। इस चुनाव में  हॉर्स ट्रेडिंग का पुराना इतिहास रहा है।
राजद के अंदर 2 नामों की चर्चा तेज
राजद सूत्रों का कहना है कि  राज्यसभा के लिए 2 नामों की चर्चा तेज है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दिकी।  पार्टी सूत्रों का कहना है कि अब्दुल बारी सिद्दिकी के विधानसभा चुनाव में हारने के बाद राजद उन्हें किसी भी हालत में राज्यसभा भेजना चाहती है, ताकि मुसलमान समुदाय में पार्टी को लेकर सहानुभूति बनी रहे। इसके साथ ही जगदानंद सिंह क्षत्रिय समाज से आते हैं, लालू यादव के विश्वासी हैं और विकट स्थितियों में भी राजद के साथ बने रहे हैं। ऐसे में उन्हें राज्यसभा भेजकर राजद अगड़ा समाज को भी मैसेज देने की कोशिश कर सकता है।
भाजपा की तैयारी
दूसरी ओर राज्यसभा की एकमात्र सीट के लिए भाजपा ने भी अपनी निगाह पैनी कर दी है। यह भाजपा कोटे की ही सीट है। भाजपा से शाहनवाज हुसैन और सुशील मोदी दो बड़े नाम हैं, जिन पर चर्चा तेज है। उन्हें राज्यसभा से सांसद बनाया जा सकता है। हालांकि पार्टी के दूसरे नेता भी अपनी फील्डिंग सजाए हुए हैं। इनमें वरिष्ठ नेता आरके सिन्हा के पुत्र ऋतुराज सिन्हा भी हैं। भाजपा की यह आदत रही है कि वह अपने पत्ते अंतिम समय में खोलती है।
लोजपा की मांग
बिहार में राज्यसभा की यह सीट केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई है। पासवान भाजपा के समर्थन से ही राज्यसभा में सांसद और फिर केंद्र में मंत्री बने थे। अब लोजपा नेताओं की तरफ से भी मांग उठने लगी है कि पासवान की पत्नी रीना पासवान को उनकी जगह राज्यसभा सांसद के तौर पर दिल्ली भेजा जाए।
विधानसभा में दलगत स्थिति
बिहार विधानसभा में दलों की स्थिति समझ लेते हैं। यहां राजद के पास 75, भाजपा के पास 74, जदयू के पास 43, कांग्रेस के 19, वामदलों के 16, एआईएमआईएम  के 5, हम के 4, वीआईपी के 4, बसपा के 1, लोजपा के 1 और निर्दलीय एक विधायक हैं। एनडीए को 126 विधायकों का समर्थन है। दलगत तौर पर एनडीए की स्थिति मजबूत है, लेकिन गुप्त मतदान से बाजी किसी भी ओर पलट सकती है।

 


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