नई दिल्ली, 03 जुलाई (हि.स.)। बिहार के मुजफ्फरपुर में इन्सेफलाइटिस से हो रही बच्चों की मौत के मामले में राज्य सरकार ने माना है कि स्वास्थ्य विभाग में ‘मानव संसाधन’ की बेहद कमी है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में नीतीश सरकार ने माना है कि अस्पतालों में 47 फीसदी डॉक्टरों की कमी है। विभाग में 71 फीसदी नर्स, 62 फीसदी लैब टेक्नीशियन, 48 फीसदी फार्मासिस्ट के पद खाली पड़े हैं।
नीतीश सरकार ने कोर्ट को ये तो आश्वस्त करने की कोशिश की है कि मेडिकल अफसर, पैरा मेडिकल और टेक्निकल स्टाफ की नियुक्ति को लेकर वो कदम उठाने जा रही है। अपने हलफनामे में बिहार सरकार ने कहा है कि मौसम में बदलाव और राज्य सरकार के प्रयास से बीमारी में काफी कमी आई है। सरकार बीमारी की वजह ढूंढने और दूरगामी समाधान करने में लगी है। खुद मुख्यमंत्री मसले को गंभीरता के साथ देख रहे हैं।
पिछले 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने इन्सेफलाइटिस से बच्चों की मौत पर चिंता जताई थी। कोर्ट ने बिहार सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि ये चिंताजनक स्थिति है। आप हमें बताएं कि आपने क्या-क्या कदम उठाए हैं।
सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने कहा था कि अब स्थिति नियंत्रण में है और इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं कि एन्सेफलाइटिस को नियंत्रित किया जाए और इसे बढ़ने से रोका जाए।
याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजनामी ने दायर की है। याचिका में राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कोर्ट के दखल की मांग की गई है। याचिका में कोर्ट से सरकार को 500 आईसीयू इंतजाम करने,100 मोबाइल आईसीयू को मुजफ्फरपुर भेजे जाने ,पर्याप्त संख्या में डॉक्टर उपलब्ध कराने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है। याचिका में मृत बच्चों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की गई है।