बिहार सरकार अंकेक्षण संहिता और मैनुअल करेगी लागू, 11 तरह के ऑडिट का प्रावधान
पटना, 19 सितंबर (हि.स.)। बिहार सरकार आजादी के 75वें साल में अंकेक्षण संहिता और अंकेक्षण मैनुअल लागू करने जा रही है। इसमें 11 तरह के ऑडिट का प्रावधान किया गया है। इसे अगले कुछ दिनों में राज्य मंत्रिपरिषद के पास अनुमोदन के लिए भेजने की तैयारी है।
राज्य के वित्त विभाग के मुताबिक प्रदेश में अभी तक केवल ट्रांजेक्शन ऑडिट और सिस्टम ऑडिट किया जाता है। प्रस्तावित अंकेक्षण संहिता में फोरेंसिक ऑडिट समेत कुल 11 तरह की ऑडिट का प्रावधान है। ये हैं ट्रांजेक्शन ऑडिट, सिस्टम ऑडिट, जोखिम आधारित ऑडिट, प्री ऑडिट, कंप्लायंस ऑडिट, परफॉर्मेंस ऑडिट, आईटी ऑडिट, रिसोर्स ऑडिट, आउटकम ऑडिट और कॉमर्शियल ऑडिट।
राज्य में वित्तीय प्रक्रिया को गड़बड़ी से फुल प्रूफ करने के लिए राज्य सरकार अंकेक्षण निदेशालय को नई तकनीक से लैस करने जा रही है। इसके लिए अंकेक्षकों को प्रशिक्षण का भी प्रावधान किया गया है, ताकि राज्य सरकार के खजाने में सेंध लगाने की किसी भी आशंका को कम किया जा सके। प्रस्तावित अंकेक्षण संहिता और अंकेक्षण मैनुअल में घोटाला, अनियमितता, दुर्विनियोग और गबन जैसे वित्तीय दोषों को बारीकी से परिभाषित किया गया है।
किसी भी विभाग या कार्यालय का ऑडिट के लिए चयन करते वक्त वित्त विभाग का अंकेक्षण निदेशालय दो दर्जन से अधिक बिंदुओं के चेकलिस्ट के जरिए ऑडिट का मकसद जाहिर करेगा। इसके अलावा अंकेक्षकों के लिए अलग-अलग तरह के अंकेक्षण में जरूरी दस्तावेजों की पूरी फेहरिस्त दी गई है। जांच के तरीकों से लेकर गड़बड़ी पकड़ने की पूरी प्रक्रिया को चरणवार निर्देशित किया गया है।
क्या होगा फायदा
घोटाला करने वाले आसानी से कानून की जद में आएंगे, इससे उनमें डर पैदा होगा। राज्य के आंतरिक अंकेक्षण की प्रक्रिया दुरुस्त होने से सरकारी धन की बर्बादी रुकेगी। अनावश्यक खर्च पर लगाम लगाकर जनता की बेहतरी को संसाधन लगाया जा सकेगा। राज्य में राजस्व संग्रह में कमी के ठिकानों को समय रहते पहचाना जा सकेगा
उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार में ऑडिट विंग की स्थापना 1953 में तत्कालीन वित्त मंत्री अनुग्रह नारायण सिंह की पहल पर की गई थी। यह वित्त विभाग की प्रशाखा 36 के तौर पर काम करता था। वर्ष 2017-18 में राज्य सरकार की ओर से अंकेक्षण निदेशालय की स्थापना की गई, जो प्रदेश के विभागों में आंतरिक अंकेक्षण संपन्न करता है। कई बार सीएजी रिपोर्ट में किसी खास विभाग या योजना में बड़ी गड़बडी की ओर इंगित करने पर उस विभाग या योजना में गड़बड़ी के दोषियों को चिह्नित करने में राज्य सरकार अंकेक्षण निदेशालय से स्पेशल ऑडिट कराती है।