बिहार का प्रसिद्ध पंच कोसी मेले का भव्य आगाज, बक्सर के पावन भूमि पर देश विदेश से जुटे श्रद्धालु
बक्सर, 24 नवम्बर (हि.स. ) | अगहन मास के पंचमी तिथि से शुरू होने वाले बक्सर के पाँच कोस की परिक्रमा (पंचकोसी) मेले में भाग लेने के लिए बिहार समेत उत्तरप्रदेश ,मध्यप्रदेश ,झारखंड ,राजस्थान ,उसिसा और नेपाल से श्रद्धालु तीर्थ यात्रियों का जत्था बीती रात से ही ट्रेन ,बस और निजी संसाधनों से बक्सर की पवित्र भूमि पर पधार चुका है |पाँच दिनों तक चलने वाले इस मेले की यह विशेषता है कि श्रद्धालु सिद्दत से अपनी मनोकामना लिए पाँच कोस के परिधि में स्थापित शिवलिंग (शिवालयो) की परिक्रमा पांच दिनों में पूरा करते है |मेले के समापन पांचवे और अंतिम दिन बक्सर के पवित्र गंगा तट पर लिट्टी –चोखा का पारण कर करते है |इन पांच दिनों में श्रद्धालु प्रथम दिन अहिरौली गाँव में स्थापित अहिल्या मंदिर (गौतम ऋषि आश्रम )से करते है |
शास्त्रों में उल्लेखित तथ्यों के अनुसार आज के ही दिन भगवान राम के द्वारा गौतम ऋषि के श्राप से शिला के रूप में परिवर्तित हुई माता अहिल्या को अपने चरणस्पर्श से शाप मुक्त किया था | मेले का दूसरा पडाव नदाँव (नारद मुनि आश्रम) तीसरा पड़ाव भभुअर गांव स्थित भार्गव मुनि आश्रम चौथा पड़ाव उनवानस गाँव स्थित उद्दालक ऋषि आश्रम और पांचवा और अंतिम पड़ाव विश्वामित्र ऋषि आश्रम (बक्सर ) पर लिट्टी –चोखा खा कर किया जाता है |
गौरतलब है कि मेले का मुख्य आकर्षण पंचकोसी मार्ग पर पड़ने वाले पांच शिव मंदिर ही है |जहां पर लगनेवाले मेले का आयोजन बक्सर जिला प्रशासन अपनी देख रेख में करता है |लोकमत के अनुसार राक्षसीं ताडका के बद्ध के बाद प्रायश्चित के लिए अपने गुरु विश्वामित्र के कहने पर भगवान राम ने अपने ईस्ट प्रभु शिव् के शरणागत हो इन पांच कोस के दायरे में जिन ऋषियों के आश्रमों पर भी गये वहा –वहा शिवलिंग को स्थापित किया |
विश्व का यह पहला ऐसा मेला है जिसे सनातनी सम्प्रदाय के आस्थावान लोग और बौध धर्म के आस्थावान लोग एक साथ मनाते है |बौध त्रिपिटक के अनुसार हिन्दू अवतारों में सुमार भगवान बुद्ध बोधगया गया स्थित बोधि वृक्ष के साए में ज्ञान प्राप्ति के बाद अपने सत्तर अनुयायियों के साथ बक्सर के रास्ते अपने प्रथम प्रवचन स्थल सारनाथ जाने के क्रम में यहा लिट्टी चोखे का प्रसाद ग्रहण किया था |वही हिन्दू शास्त्रों के अनुसार त्रेता युग में भगवान राम पंचकोसी परिक्रमा पूरी कर अगहन मास दशमी तिथि के दिन गुरु विश्वामित्र के आश्रम पर लिट्टी –चोखा का प्रसाद ग्रहण कर परिक्रमा का समापन किया था |तभी से प्रचलित इस मेले की शुरुआत भी मानी जाती है |इस मेले में आये श्रद्धालु मेले के प्रथम दिन अहिरौली गाँव में पुवा –पकवान का प्रसाद ग्रहण करते है |तो दूसरे पडाव नदाँव गाँव में खिचड़ी तीसरे पडाव भभुअर गाँव में लगने वाले मेले में चुडा –दही चौथे पड़ाव उनवास गाँव में सत्तू और मूली का प्रसाद ग्रहण करते है |
आज बुधवार को सूर्योदय के पश्चात जिला मुख्यालय स्थित ऋषि विश्वामित्र आश्रम के प्रांगण से वाराणसी ,अयोध्या ,मथुरा से आये सैकड़ो की संख्या में साधू संतोके साथ विदेशी श्रद्धालुओं ने मेले का प्रथम पड़ाव स्थल अहिरौली गाँव स्थित अहिल्या मंदिर के लिए प्रस्थान किया |आज से पांच दिनों तक चलने वाले इस मेले को लेकर जहा बक्सर नगर परिषद ने सफाई व्यवस्था का बिदा उठाया है वही जिला प्रशासन ने सम्पूर्ण मेने के दौरान पडनेवाले मार्गो पर सुरक्षा की व्यवस्था की है |मेले के दौरान किसी प्रकार का व्यवधान ना हो इस बात की विशेष चौकसी है |