नीतीश को लेकर असमंसज, एक साल पहले चुनाव कराने का कर सकते हैं विरोध
इस बारे में जदयू के एक सांसद का कहना है कि समय से एक साल पहले बिहार में विधानसभा चुनाव कराने का कोई औचित्य नहीं है। राज्य में समय से विधान सभा चुनाव होगा तो अक्टूबर – नवम्बर 2020 में होगा। भाजपा अपनी तरफ से बिहार में अक्टूबर – नवम्बर 2019 में विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी कर रही है। इसके लिए भाजपा अध्यक्ष के साथ बैठक में प्रदेश के पदाधिकारियों से रिपोर्ट ली गई है।
नई दिल्ली, 14 जून (हि.स.)। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस साल अक्टूबर-नवम्बर में महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव जिताने के बाद अध्यक्ष पद से विदाई लेंगे। सूत्रों का कहना है कि सभी प्रादेशिक अध्यक्षों व महासचिवों के साथ बैठक के बाद राय बनी कि सांगठनिक चुनाव में ही सितम्बर – अक्टूबर तक का समय लग जायेगा। उसके बाद महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव हैं। जम्मू – कश्मीर विधानसभा का चुनाव भी इसी दौरान कराया जा सकता है। दिल्ली प्रदेश का चुनाव भी चुनाव आयोग और केन्द्र सरकार चाहेगी तो कुछ माह पहले हो जायेगा।
हालांकि आम आदमी पार्टी फरवरी 2020 तक का एजेंडा बनाकर चल रही है। यदि चुनाव आयोग व केन्द्र सरकार ने दिल्ली विधानसभा का चुनाव समय से तीन माह पहले कराने की कोशिश की तो अरविंद केजरीवाल की पार्टी विरोध करेगी। इसके बावजूद आयोग व केन्द्र के चाहने के कारण केजरीवाल इसे रोकने में सफल नहीं हो पायेंगे। अड़चन है तो केवल बिहार में। जहां समय से एक साल पहले अक्टूबर – नवम्बर 2019 में चुनाव कराने के लिए जदयू नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजी होंगे या नहीं, इसको लेकर भाजपा सशंकित है।
इस बारे में जदयू के एक सांसद का कहना है कि समय से एक साल पहले बिहार में विधानसभा चुनाव कराने का कोई औचित्य नहीं है। राज्य में समय से विधान सभा चुनाव होगा तो अक्टूबर – नवम्बर 2020 में होगा। भाजपा अपनी तरफ से बिहार में अक्टूबर – नवम्बर 2019 में विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी कर रही है। इसके लिए भाजपा अध्यक्ष के साथ बैठक में प्रदेश के पदाधिकारियों से रिपोर्ट ली गई है।
इस बारे में पूर्व सांसद हरिकेश बहादुर का कहना है कि अमित शाह जिस तरह से लगातार बैठकें कर रहे हैं और संगठन के सभी निर्णय ले रहे हैं, उससे भी उक्त राज्यों के पदाधिकारियों को लग गया है कि वह अब छह राज्यों में विधानसभा चुनाव जिताने के बाद ही अध्यक्ष पद किसी और को सौंपेंगे। इसके लिए दिसम्बर 2019 में सांगठनिक चुनाव कराने की तैयारी है। उसके बाद जो भाजपा अध्यक्ष होगा वह गृहमंत्री अमित शाह के सहयोग से प. बंगाल, केरल और तमिलनाडु में अपनी पूरी ताकत झोंकेगा। मई 2021 में इन तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे और भाजपा हर हाल में प. बंगाल में सरकार बनाना और केरल में प्रमुख विपक्षी पार्टी बनना तथा तमिलनाडु में आधार बढ़ाना चाहती है।
इस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने 2019 में केन्द्र में सरकार बनाने के बाद से ही अगले पांच साल का कैलेंन्डर बना लिया है। उसी के अनुसार काम पर जुट गये हैं। इस बारे में भाजपा सांसद लालसिंह बड़ोदिया का कहना है कि अमित भाई चुनावी बिसात बिछाने, उसमें विपक्षी दल को फंसाकर चुनाव जीतने में माहिर हैं। वह नीतीश को भी मना लेंगे। उनके अध्यक्ष रहते दिसम्बर 2019 के पहले छह राज्यों में विधानसभा चुनाव होते हैं तो वह इन सभी राज्यों में पार्टी को विजय दिला देंगे।