ब्रह्मपुर विधानसभा की सीट पर ताजपोशी की हसरत लिए कई प्रत्याशियों की दावेदारी से लड़ाई दिलचस्प होने के आसार

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बक्सर, 09 सितम्बर (हि .स .) ।सूबे में भाजपा के भीष्म पितामह कहेजाने वाले पूर्व गवर्नर कैलाशपति मिश्र की कर्मभूमि होने से ब्रह्मपुर  विधानसभा की सीट भाजपा की प्रतिष्ठित सीट में शुमार है ।यह दीगर बात है कि 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर भाजपा बातौर प्रत्याशी बिहार के दिग्गज भाजपा नेता डॉ सीपी ठाकुर के सुपुत्र विवेक ठाकुर को उतार कर दमखम आजमा चुकी है ।पर तत्कालीन हालात बदले हुए थे। जदयू और राजद गठबंधन के खिलाफ अकेले भाजपा ने चुनावी ताल ठोका था ।इस बार माहौल बदला है अब पुनः भाजपा -जदयू साथ हैंं ।यह भी तय है कि इस सीट पर गठबंधन के तहत भाजपा ही अपने प्रत्याशी उतारेगी पर प्रत्याशी कौन होगा यह अभी साफ होना बाकी  है ।अब जबकि चुनावी शंखानाद हो चुका है तो कई स्थानीय क्षत्रप ताजपोशी को लेकर दिल्ली ,नागपुर वाया पटना की दौड़ लगा   रहे हैंं ।यहांं यह देखना दिलचस्प होगा कि 2015 की भांंति भाजपा किसी बाहरी प्रत्याशी पर दांंव आजमाएगी या  फिर स्थानीय क्षत्रपोंं में से किसी एक पर दांंव खेलेगी ।

ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र का मौजदा प्रतिष्ठित नाम डॉ स्वामिनाथ तिवारी को  भाजपा निर्देशक मंडल में डाल चुकी है पर जीत के लिए भाजपा को डॉ तिवारी को उतारना लाभदायक  होगा ऐसा लोगों का मानना है।इस बाबत अगर भाजपा उत्साह में कोई भूल कर बैठती है।2015 विधानसभा चुनाव की तरह भाजपा को भितरघात के लिए सतर्क रहना होगा क्योंंकि गत चुनाव में दिग्गज प्रत्याशी विवेक ठाकुर के ऊपर बाहरी प्रत्याशी का ठप्पा लगा था और  भाजपा की हार की यह बड़ी वजह बनी थी। तब विरोध के पीछे स्वर्गीय कैलाशपति मिश्र के भी घराने का नाम उछ्ला था ।हार के बाद इसकी समीक्षा के उपरान्त भाजपा ने इस घराने की दिलमानो देवी को राज्य महिला आयोग का प्रमुख बना कर और विवेक ठाकुर को राज्य सभा भेज कर खाई  पाटने का काम कर दिया है । इसलिए माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव में भाजपा को फूंक -फूंक कर कदम रखना होगा ।
भाजपा -जदयू गठबंधन के तहत राजपुर और डुमराँव की सीट जदयू के पाले में होगी तो बक्सर और ब्रह्मपुर सीट भाजपा के खाते में जायेगी ।यहांं यह भी तय है कि बक्सर की सीट पर भाजपा किसी ब्राह्मण प्रत्याशी को ही मौक़ा देगी ।इसी तरह ब्रह्मपुर सीट भूमिहार जाति विशेष के पाले में जाएगी ।कहने का आशय यह है कि अगर लोकसभा का चुनाव चेहरे पर लड़ा जाता है तो विहार में विधानसभा की लड़ाई जातिगत समीकरण को लेकर लड़ी जाती है ।इस जमीनी सच्चाई को नकारा नहींं जा सकता ।
जहांं तक बात रही महागठबंधन की ,तो मौजूदा समय में इस सीट पर राजद विधायक  शम्भु यादव का कब्जा है जिनका पुनः राजद प्रत्याशी बनना तय है ।इसबार का  चुनावी  खेल  अगड़ा बनाम  पिछड़ा को लेकर होगा जिसमेंं राजद यादव ,मुस्लिम ,पिछड़ी, अति पिछड़ी और दलितों को गोलबंद करने के प्रयास में जुट गई है ।पर दिक्कत यह है कि राजद के यादव खेमे में पप्पू यादव उर्फ़ राजेश रंजन की जाप पार्टी अगर अपना प्रत्याशी उतारती है और डुमराँव के जादूयू  विधायक ददन सिंह यादव के वर्चस्ववादी खेमा को साधने में ब्रह्मपुर के राजद विधायक शम्भु यादव नाकाम होते हैंं तो इनकी जीत की राह में कई पेंंच पैदा हो जायेंगे ।बसपा ,सपा समेत वाम दलों का आंशिक वजूद होने से इस सीट पर सबसे अधिक खामियाजा वर्तमान विधायक शम्भु यादव को ही भुगतना होगा ।
इसी तरह भाजपा -जदयू गठबंधन को लेकर अगर नीतीश कुमार के चेहरे पर कोइरी ,कुर्मी ,दलित और पिछड़ी ,अतिपिछड़ी जाति विशेष के मतदाता आंशिक तौर पर भी गोलबंद होते हैंं और भाजपा अपने परम्परागत अगड़ी  जाति विशेष को साधने में कोई भूल नहींं करेगी तो इस बार इस सीट पर कांंटे की लड़ाई देखने को मिल सकती है ।बस इन्तजार है भाजपा प्रत्याशी के चेहरे का ।

 


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