पटना,02जून (हि.स.) । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में सत्ता में भाजपा की सहभागिता के बाद राज्य मंत्रिपरिषद का रविवार को होने वाले विस्तार के संबंध में भाजपा को भी विश्वास में लिया है। अभी भाजपा कोटे के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित 13 मंत्री हैं। भाजपा कोटे से और दो मंत्री बनाये जा सकते हैं। मंत्रिपरिषद में लोजपा को प्रतिनिधित्व भाजपा कोटे से ही मिला था। पशुपति कुमार पारस ने हाजीपुर से सांसद बनने के बाद मंत्रिपरिषद और विधान परिषद से इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री ने मंत्रिपरिषद विस्तार के संबंध में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के माध्यम से भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व को जानकारी दी है। अभी जदयू कोटे से मुख्यमंत्री सहित 12 मंत्री हैं। बिहार में मुख्यमंत्री सहित कुल 36 सदस्यीय मंत्रिपरिषद हो सकती है। 29 जुलाई ,2017 को महागठबंधन सरकार के पतन के बाद उसी दिन राजग सरकार के बनने पर मुख्यमंत्री सहित 29 सदस्यीय मंत्रिपरिषद का शपथग्रहण हुआ था। इनमें अब तक चार मंत्रियों का इस्तीफा होने के बाद अभी 25 सदस्यीय मंत्रिपरिषद है। मंत्रिपरिषद विस्तार में रविवार को सिर्फ जदयू कोटे के नये मंत्रियों को शपथ दिलाने के आसार हैं। भाजपा नेतृत्व का निर्णय हुआ तो उसके कोटे के बचे दो नये मंत्री बनाये जा सकते हैं परंतु विस्तार में इसके संकेत नहीं हैं। भाजपा कोटे से विधान परिषद के सभापति का खाली पद भरे जाने का पहले से इंतजार है। इस सबंध में भाजपा का प्रदेश नेतृत्व भी उलझन में है। पूर्व सभापति अवधेश नारायण सिंह मुख्यमंत्री के पंसदीदा हैं पर पार्टी में ही उनके नाम पर सहमति नहीं मिल रही है। केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में अन्य सहयोगी दलों की तरह जदयू का भी एक मंत्री बनाकर सांकेतिक साझेदारी देने की भाजपा की पेशकश न सिर्फ जदयू ने ठुकरा दी है बल्कि जदयू अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा के 16 और राज्यसभा के 6 सदस्यों के संख्या बल के आधार पर मंत्रिपरिषद में साझेदारी की खुली मांग की है। जदयू की कम से कम तीन केन्द्रीय मंत्री बनाने की चाहत है। जदयू अध्यक्ष ने साफ कर दिया है कि अब जदयू न केन्द्र सरकार में शामिल होगा बल्कि इसको लेकर न कोई बैठक में भाग लेंगे और न बातचीत करेंगे। जदयू के सख्त तेवर से न सिर्फ जदयू-भाजपा की साझा सरकार के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं बल्कि विधानसभा के अगले वर्ष होने वाले चुनाव में सीटों के बंटवारे एवं सीटें तय किये जाने तक इन दोनों दलों के बीच दोस्ती कायम रहने पर भी सवालिया निशान लग गया है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार फिलहाल जदयू की प्रतिक्रिया पर पार्टी की नजर होगी। केन्द्र सरकार अपने चुनावी वायदे के अनुरूप जब कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 और 35 ए पर निर्णय लेगी तब जदयू की अंतिम प्रतिक्रिया का इंतजार होगा।