पटना, 18 मई (हि.स.) केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि बिहार के कृषि आधारित उद्योगों को नई पहचान मिलेगी। इसके लिए विशेष आर्थिक पैकेज में अलग से व्यवस्था की गई है। मखाना कलस्टर बनने से उत्पादन और गुणवत्ता के साथ ही रोजगार के नए द्वार खुलेंगे। इसके अलावा केला जर्दालु आम, लीची, टमाटर सहित अन्य फलों से तैयार होने वाले खाद्य प्रसंस्करण को भी अलग पहचान मिलेगी। सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री आत्मनिर्भर भारत के तहत विशेष आर्थिक पैकेज को लेकर बिहार में कृषि आधारित उद्योगों को नई पहचान पर अपनी बाते रख रहे थे।
अश्विनी चौबे ने कहा कि मखाना के साथ ही बिहार के अन्य कृषि आधारित उद्योगों को भी अलग पहचान मिलेगी। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र बक्सर का जिक्र करते हुए कहा कि यहां गेहूं चावल के अलावा टमाटर आदि की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इससे बनने वाले खाद्य प्रसंस्करण के लिए यहां पर किसानों को प्रशिक्षित एवं उद्योग लगाने के लिए सार्थक बातचीत चल रही है। इसी तरह मुजफ्फरपुर जिले की लीची की अंतरराष्ट्रीय पहचान है। हाजीपुर और नवगछिया का केला, भागलपुर के जर्दालु आम, कतरनी चावल आदि के खाद्य प्रसंस्करण तैयार कर अलग से पहचान दिलाने में भी विशेष पैकेज के अंतर्गत मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार शहरी के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए कार्य कर रही है। इससे रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। उत्पादन बढ़ेगा। साथ ही एक अलग पहचान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी।
मखाना कलस्टर होगा रोल मॉडल
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विशेष आर्थिक पैकेज के तहत बिहार के मखाना को अलग पहचान देने की बात की है। केंद्रीय राज्यमंत्री चौबे ने कहा कि बिहार में मखाना कलस्टर भविष्य में एक रोल मॉडल साबित होगा। यह कलस्टर अन्य कृषि आधारित उद्योगों को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने और रोजगार के नए मार्ग को खोलने में अहम भूमिका का भी निर्वहन करेगा।
सबसे बड़ा मखाना उत्पादक राज्य है बिहार
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री चौबे ने बताया कि देश का सबसे बड़ा मखाना उत्पादक राज्य बिहार है। उत्तर बिहार के सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल अररिया, कटिहार, किशनगंज आदि जिलों में इसकी खेती होती है। केंद्र सरकार कृषि आधारित उद्योगों को बुनियादी रूप से मजबूत बनाने एवं विशेष पहचान दिलाने के लिए 10,000 करोड़ रुपए पैकेज के अंतर्गत निर्धारित किए हैं। इसमें अन्य राज्यों की तरह बिहार के मखाना उद्योग को भी शामिल किया गया है। इससे मखाना उद्योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी।