नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (हि.स.)। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव के बीच दार्जिलिंग और सिक्किम की दो दिवसीय यात्रा पर निकले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने शनिवार को बंगाल के दार्जिलिंग जिले में सुकना कॉर्प का दौरा किया। सेना की इसी कॉर्प को चीन के साथ भूटान और चीन सीमाओं की रक्षा करने की जिम्मेदारी दी गई है। रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख देर शाम को सुकना सैन्य शिविर पहुंचे।
चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उत्तर-पूर्व क्षेत्र में सुकना स्थित सेना की 33वीं कॉर्प में गंगटोक में 17, कालिम्पोंग में 27 और बिन्नागुरी में 20 माउंटेन डिवीजन हैं। प्रत्येक डिवीजन में 10 से 12 हजार सैनिक हैं। रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख ने उत्तर-पूर्व क्षेत्र में परिचालन स्थिति और सैन्य तैयारियों की समीक्षा की। इसके बाद दोनों आगे के क्षेत्रों का दौरा करके सैनिकों से बातचीत करेंगे। रक्षा मंत्री रविवार को सिक्किम सेक्टर में एलएसी के पास शेरथांग, नाथू ला और अन्य आगे के इलाकों का दौरा करेंगे। इस दौरान वह चीन सीमा पर तैनात सैनिकों के साथ दशहरा के अवसर पर ‘शस्त्र पूजन’ करेंगे। अपनी यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री सिक्किम सेक्टर में सीमा सड़क संगठन की एक बुनियादी ढांचा परियोजना का उद्घाटन करेंगे। वह ‘प्रोजेक्ट स्वास्तिक’ के तहत कुछ परियोजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा करेंगे, जिसमें सिक्किम में जेएनएम वैकल्पिक पहुंच मार्ग भी शामिल है।
रक्षा मंत्री की यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब भारत और चीन के बीच छह महीने से पूर्वी लद्दाख में चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए आठवें दौर की कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता होने वाली है। चीन के साथ 3,588 किलोमीटर लंबी एलएसी के तीन सेक्टरों पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड, हिमाचल) और पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल) में तीनों सेनाएं हाई अलर्ट पर हैं। भारतीय सेना के सभी फॉर्मेशन और वायुसेना के एयर-बेस चीन के किसी भी दुस्साहस का मिनटों में जवाब देने के लिए तैयार हैं। अकेले पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के 50 हजार से अधिक सैनिक, टैंक, हॉवित्जर और अन्य हथियार प्रणालियों के साथ तैनात हैं।
इस पहाड़ी इलाके में सर्दियों की शुरुआत होने के बावजूद चीन अब तक की सैन्य वार्ताओं में नई-नई पेशकश कर रहा है जबकि भारत पूर्वी लद्दाख में पूरी एलएसी पर पूर्ण डी-एस्केलेशन के अपने रुख पर कायम है। भारत ने पहले ही पंगोंग झील के दक्षिणी तट पर थाकुंग चोटी से गुरुंग हिल, स्पंगगुर गैप, मागर हिल, मुखपारी, रेजांग ला और रेकिन ला (रेचिन ला) तक फैली हुई रिज लाइन को खाली करने की चीन की मांग खारिज कर दी है। चीन ने एलएसी को 1959 के अनुसार एकतरफा परिभाषित करने की कोशिश की जिसे भी भारत ने मजबूती से खारिज कर दिया है।