भूपेश सरकार ने पाकिस्तानी हिन्दुओं की नागरिकता पर लगाई रोक

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एडीएम विनीत नंदनवार बोले- नए नागरिकता कानून का नोटिफिकेशन उन्हें अभी तक नहीं मिला



रायपुर, 19 जनवरी (हि.स.)। देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर मचे बवाल और हिंसा के बीच छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार ने पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए शरणार्थियों की नागरिकता प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।अभी तक 130 लोगों को नागरिकता दी गई है लेकिन इसी कड़ी में 67 पाकिस्तानी हिन्दुओं की नागरिकता अभी ‘पाइपलाइन’ में अटकी हुई है।
रायपुर एडीएम विनीत नंदनवार ने बताया कि अभी तक 130 लोगों को नागरिकता दी गई है लेकिन इसी कड़ी में 67 पाकिस्तानी हिन्दुओं की नागरिकता अभी ‘पाइपलाइन’ में अटकी हुई है। एडीएम ने बताया कि जिन्हें नागरिकता दी जा चुकी है, वे बाहर के देश से आए ऐसे लोग हैं जो वीजा और पासपोर्ट धारक हैं। छत्तीसगढ़ में आए पासपोर्ट और वीजा धारक 67 पाकिस्तानी नागरिकों के बारे में खुफिया एजेंसियां और स्थानीय पुलिस की तरफ से जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। इस वजह से 67 लोगों की नागरिकता लटकी हुई है। एडीएम ने बताया कि जिन विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया हो चुकी है या चल रही है, यह वे लोग हैं जो पुराने नागरिक नियमों के मुताबिक 12 साल देश में बिता चुके हैं।
जब हिन्दुस्थान समाचार ने एडीएम से यह जानना चाहा कि नागरिकता कानून 10 जनवरी को लागू हो चुका है और नए कानून के मुताबिक अब 6 साल बाद ही नागरिकता देने का प्रावधान है तो उन्होंने कहा कि नए नागरिकता कानून का नोटिफिकेशन उन्हें अभी तक नहीं मिला है। सवाल है कि जब जिला कलक्टर दफ्तर में नए नागरिकता कानून का गजट पहुंचा ही नहीं है तो नए कानून के मुताबिक पाकिस्तान से आए नागरिकों को भारतीय नागरिकता कैसे दी जाएगी। सवाल यह भी है कि केंद्र सरकार द्वारा कानून लागू कर दिये जाने के बाद भी अगर राज्य में जिलाधिकारियों को इस कानून का नोटिफिकेशन नहीं दी गई है तो इसका मतलब क्या है।
उल्लेखनीय है कि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी का विरोध जता चुके हैं। उन्होंने कई बार बयान दिया है कि वे छत्तीसगढ़ में नागरिकता कानून लागू नहीं होने देंगे। इन बीच सबसे बड़ा सवाल है कि पासपोर्ट और वीजा जैसे दस्तावेज के बिना छत्तीसगढ़ आने वाले पाकिस्तानी और बांग्लादेशी शरणार्थियों के बारे में छत्तीसगढ़ प्रसासन के पास कोई रिपोर्ट नहीं है और ना ही उन्हें नागरिकता देने की अभी तक कोई पहल की जा सकी है। छत्तीसगढ़ में लगभग 6 लाख विदेशी शरणार्थियों का आधिकारिक आंकड़ा मौजूद है। इनमें सबसे अधिक बांग्लादेशी शरणार्थी हैं।

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