आगे आएं देशवासी बंगाल में हिंसा पीड़ित हिंदू समाज की मदद के लिए : विहिप

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नई दिल्ली, 18 मई (हि.स.)। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने देशवासियों से पश्चिम बंगाल में हिंसा पीड़ित हिंदू समाज की सहायता और पुनर्वास के लिए आगे आने का आह्वान किया है। साथ ही विहिप ने कहा है कि समाज के इन पीड़ित लोगों की पूरे मन से सहायता करें जिससे कि उन्हें यह एहसास हो जाए कि संपूर्ण देश का हिंदू समाज उनकी चिंता करते हुए उनके साथ दृढ़ता से खड़ा है।
विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने एक बयान में कहा कि बंगाल विधानसभा चुनाव परिणामों की घोषणा के साथ ही प्रारंभ हुए हमलों में अब तक लगभग 11 हजार से अधिक हिंदू बेघर हो चुके हैं, 40 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और 142 महिलाओं के साथ अमानवीय अत्याचार हुए। 5000 से अधिक मकान ध्वस्त किए गए। सात स्थानों पर तो हिंदू बस्तियों को ही बुलडोज कर या तो रातों-रात वहां मस्जिदें खड़ी कर दी गईं या फिर कब्जा जमा लिए। अकेले सुंदरबन में 200 से ज्यादा घर बुलडोजर से ध्वस्त कर दिए। अनुसूचित जातियां एवं जन जातियां इनके विशेष निशाने पर रहीं। 26 लोगों की हत्याएं हुई हैं, जिनमें से अधिकतर लोग अनुसूचित जाति एवं जनजाति के हैं। दो हजार से अधिक हिंदू असम, ओडिशा और झारखंड में शरण लेने को विवश हुए हैं।
उन्होंने कहा कि इस हिंसा ने 1947 के भारत विभाजन के हिंसक नरसंहार की याद ताजा कर दी है। स्थिति की भयावहता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि पीड़ितों का दुखड़ा सुनते सुनते राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भी रूंधे कंठ से कहना पड़ा कि बंगाल के लोगों को जीने के लिए धर्म परिवर्तन को विवश होना पड़ रहा है। उनको यहां तक कहना पड़ा कि बंगाल हिंदुओं के लिए एक ज्वालामुखी बन गया है।
परांडे ने कहा कि देश-धर्म की रक्षा के लिए संघर्षरत बंगाल के हिंदू समाज के साथ खड़ा होना संपूर्ण देश का दायित्व है। परांडे ने पीड़ित हिंदुओं की सहायता के लिए खुले मन से आगे आने का आह्वान करते हुए दो बैंक खातों के नंबर भी जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि देशवासी विश्व हिंदू परिषद नई दिल्ली के पंजाब नेशनल बैंक, खाता संख्या 04072010017250 या भारत कल्याण प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के खाता संख्या 04072010019960 में अपना अंशदान सीधे ट्रांसफर या चेक के माध्यम से करके हमें दानदाता का नाम, पता, टेलीफोन नंबर, ट्रांजेक्शन रेफ्रेंस नंबर के साथ kotishwar.sharma@gmail.com पर सूचित करें।

 


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