मुंबई, 25 जनवरी (हि.स. )। महाराष्ट्र सरकार ने भीमा कोरेगांव हिंसा में एलगार परिषद की भूमिका की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने के केंद्रीय गृह मंत्रालय के फैसले पर आपत्ति की है। इससे नाराज महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि वह इस मामले पर कानूनी सलाह ले रहे हैं।
अनिल देशमुख ने कहा कि महराष्ट्र सरकार भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद एलगार परिषद प्रकरण की जांच कराने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी ) के गठन पर विचार कर रही थी। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हस्तक्षेप कर जांच एनआईए को सौंप दी है। इस मामले में केंद्र सरकार ने सरकार को विश्वास में नहीं लिया।देशमुख ने कहा वह विधि और न्याय विभाग से सलाह ले रहे हैं।
इस मुद्दे पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा है कि इससे साबित हो रहा है कि पहले सही जांच नहीं की गई। किसी को बचाया गया। मंत्री दिलीप वलसे पाटील ने पवार के बयान का समर्थन किया है। गृहनिर्माण मंत्री जीतेंद्र आव्हाड ने कहा है कि एनआईए की धारा 10 के अनुसार बिना राज्य सरकार की सहमति से कोई भी जांच उसे सौपी ही नहीं जा सकती।
उधर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एनआईए से जांच कराने के फैसले का स्वागत किया है। फडणवीस ने कहा कि यह मामला कई राज्यों से जुड़ा है। एनआईए की स्थापना कांग्रेस ने ही की थी। इसलिए उस पर शक करना उचित नहीं है। विधान परिषद में नेता विपक्ष प्रवीण दरेकर ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार के गृहमंत्री की आलोचना ठीक नहीं है। पूर्व वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि एलगार मामले में प्रधानमंत्री को दी गई हत्या की साजिश की भी जांच की जा रही है। मुनगंटीवार ने कहा कि महाराष्ट्र के इतिहास में इस तरह कभी भी गृहमंत्री ने केंद्र सरकार की भूमिका पर शक नहीं किया है।
वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि देश के कई राज्यों ने एनआईए को मामले देने बंद कर दिए हैं। केंद्र सरकार, राज्य के अधिकारों का हनन कर रही है।उल्लेखनीय है कि 1 जनवरी 2018 को पुणे स्थित भीमा कोरेगांव में विजय जुलूश को लेकर दो समूहों में हिंसा हुई थी। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और करोड़ों रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई थी। इससे पहले भीमा कोरेगांव में एलगार परिषद का आयोजन किया गया था।