सुपौल, 02 जनवरी (हि.स.)। बिहार के सहरसा जिले से होकर गुजने वाली कोसी नदी पर बनाया जा रहा पुल देश ही नहीं एशिया का दूसरा सबसे बड़ा पुल होगा। इसका निर्माण बहुत तीव्र गति से किया जा रहा है।
धार्मिक स्थलों को जोड़ने वाले भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत मधुबनी जिला के उमगांव (उच्चैठ) भगवती स्थान से सहरसा जिला के उग्रतारा मंदिर को जोड़ने वाले एनएच 527ए यह कोसी नदी होकर गुजरेगा।
तीन साल में पूरा होगा पुल का निर्माण-
कोसी नदी में बनने वाले इस पुल का निर्माण तीन साल में पूरा कर लिया जाएगा। 10.2 किमी लंबे इस महासेतु पर 964 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वैसे इस पूरी परियोजना पर 1349 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। वैसे तो कोसी नदी अपनी विनाश लीला के लिए जानी जाती है लेकिन अब यह नदी लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस पुल के बन जाने से क्षेत्र में विकास की संभावना बढ़ेगी और आवागमन के साथ व्यापार और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
दरअसल सुपौल जिले में कोसी नदी पर देश का सबसे बड़ा और एशिया का दूसरा सबसे लम्बा पुल निर्माण कार्य तेज गति से किया जा रहा है। पुल का पूर्वी छोर सुपौल जिले के बकौर से और पश्चिमी छोड़ मधुबनी जिले के भेजा गांव तक जुड़ा हुआ है। मिथिलांचल और कोसी के साथ पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने वाला यह महासेतु देश का सबसे बड़ा पुल होगा। बताया जा रहा है कि इस पुल का निर्माण करीब 3.5 साल में पूरा होगा। केंद्रीय परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय द्वारा बनने वाले इस पुल में एप्रोच रोड सहित इसकी कुल लागत करीब 1349 करोड़ होगी, जबकि सिर्फ महासेतु की लागत करीब 984 करोड़ रुपये होगी। निर्माण कंपनी के इंजीनियर ने बताया कि भेजा की ओर से 20 वेल का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
इलाके के लोगों में खुशी-
स्थानीय लोगों का कहना है कि तो इस पुल के निर्माण हो जाने से कोसी मिथिलांचल के करीब आधा दर्जन जिले के लाखों लोगों को सुविधाएं मिलेंगी। साथ ही आवागमन के साथ व्यापार और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। सामरिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह पुल महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस पुल के बन जाने से मिथिलांचल के प्रमुख धार्मिक स्थलों की दूरी घट जाएगी। खासकर इससे मधुबनी के प्रसिद्ध उच्चैठ भगवती व सहरसा में महिषी के तारास्थान का जुड़ाव सीधे हो सकेगा।