नई दिल्ली, 12 अगस्त (हि.स.)। भारत और चीन के बीच जारी तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। लद्दाख बॉर्डर के हालातों की जानकारी देने के लिए सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) बिपिन रावत संसदीय समिति के सामने पेश हुए और बताया कि भारतीय सेनाएं हर चुनौती से निपटने के लिए बिल्कुल तैयार है। इस समिति के अध्यक्ष लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी हैं। चीन के साथ अब तक छठे दौर की सैन्य वार्ता और कूटनीतिक स्तर पर कई बार बातचीत हो चुकी है लेकिन वादाखिलाफी में माहिर आज की तारीख तक धोखा ही दे रहा है। वार्ताओं में सहमति जताने के बावजूद उस पर अमल न करने और वादाखिलाफी से दिनोदिन माहौल बिगड़ता ही जा रह है। चीन ने भारत के इलाके में निर्माण कार्य किये हैं और अब वह पीछे हटने को तैयार नहीं है। इन सब वजहों से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन के साथ युद्ध जैसे हालात हैं। मौजूदा समय की स्थितियों से अवगत कराने के लिए सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) बिपिन रावत अपने शीर्ष कमांडरों के साथ संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष उपस्थित हुए। उन्होंने लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति को पूर्वी लद्दाख की स्थितियों से अवगत कराया। उन्होंने समिति को बताया कि फिलहाल अभी भी चीन के साथ अविश्वास की खाई पाटने के प्रयास चल रहे हैं क्योंकि चीन ने मई महीने से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर अपनी फौज तैनात कर रखी है। चीनी सेना आर्मर्ड रेजिमेंट और लंबी दूरी के हथियारों से लैस है। हालांकि इसके जवाब में भारतीय सेना और वायुसेना ने भी अपनी तैयारी पूरी कर रखी और चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। समिति के कई सदस्यों ने जनरल रावत से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध के बारे में जानना चाहा। जनरल बिपिन रावत संसदीय समिति को यह भी बताया कि देश की सशस्त्र सेनाएं पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास किसी भी स्थिति से निपटने और कड़ाके की सर्दी के दौरान भी तैनाती के लिए तैयार है। समिति को बताया गया कि आने वाले दिनों में कड़ाके की ठंड के बावजूद भारतीय सेनाएं लद्दाख बॉर्डर से नहीं हटेंगी और लम्बे समय तक तैनाती जारी रखने की तैयारी कर रही है। पूर्वी लद्दाख में अप्रैल-मई से भारत और चीन के बीच विवाद जारी है। चीनी फौज ने पहले शिनजियांग प्रांत के अपने इलाके में अपने सैनिकों को इकठ्ठा किया जिसके जवाब में भारत ने भी इसका करारा जवाब दिया और एलएसी पर हजारों की संख्या में अपनी फौज खड़ी कर दी। गलवान घाटी की घटना के बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर तनाव अब भी बरकरार है। भारतीय सेना एलएसी पर सैन्य साजोसामान, अतिरिक्त सैनिकों और हथियारों के साथ तैनात है। इसी तरह वायुसेना ने भी लड़ाकू विमानों की तैनाती कर रखी है। सीडीएस रावत की अगुआई में सैन्य अफसरों की टीम ने संसदीय समिति को भरोसा दिलाया कि भारतीय फौज एलएसी पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। लद्दाख में भारतीय फौज की वापसी के अभी कोई संकेत नहीं हैं क्योंकि सेना यहां लंबे दिनों तक टिक सकती है। चीन सीमा पर भारतीय फौज पिछले चार महीनों से डटी है और आगे भी तैनाती बने रहने के संकेत हैं। पूर्वी लद्दाख में चीनी फौज की घुसपैठ को देखते हुए भारतीय सेना इस पूरे इलाके में अपनी मौजूदगी बनाए रखने पर अडिग है। कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत के बावजूद धरातल पर इसका बड़ा असर नहीं दिख रहा है क्योंकि दोनों ओर से सेनाएं एक दूसरे के आगे डटी हुई हैं।