उप्र : लॉकडाउन में तीन हजार करोड़ की कालीन गोदामों में डंप

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दुनिया में कोरोना संक्रमण की वजह से कालीन उद्योग भारी नुकासानकालीन उत्पादन और निर्यात पूरी तरह हुआ ठप, जहाज कम्पनियों ने बढ़ाया कई गुना भाड़ा 



भदोही, 12 जून (हि.स.)। दुनिया भर में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से भदोही की कारपेट इंडस्ट्री (कालीन उद्योग) को भारी नुकासान उठाना पड़ा है। निर्यातकों की मानें तो राष्ट्रीय स्तर पर तीन माह के दौरान तकरीब तीन हजार करोड़ की कालीन गोदामों में डम्प पड़ी है, उसका निर्यात नहीँ हो सका है। लॉकडाउन में कालीन उद्योग को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। हैंडमेड कालीन का निर्माण पूरी तरह ठप है। जिसकी वजह से कालीन उद्योग की हालत बेहाल है। भारत दुनिया की 80 फीसदी कालीन की मांग को पूरा करता है।
भारत में निर्मित हैंडमेड कालीन दुनिया भर में अस्सी फीसदी की मांग को पूरा करता है। जबकि 60 से 80 फीसदी माल अमेरिका खपाता है। लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से अमेरिका के साथ, यूरोप की हालत खस्ता है। भारत में सबसे अधिक भदोही की कालीन की मांग अमेरिका में है। इसके अलावा इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, बेल्जियम और दूसरे देश शामिल हैं। लेकिन लॉकडाउन की वजह से बाजार पर बुरा प्रभाव पड़ा है। निर्यात के ऑर्डर जो पहले से हैं, वहीं नहीं पूरे हो रहें हैं। कोरोना की वजह से काम बंद है। जिसकी वजह से उत्पादन नहीँ हो रहा है। पूर्वांचल में भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, मऊ, गोरखपुर, आजमगढ़ जैसे कई जिलों में कालीन बुनाई का काम ठप है। पश्चिमी यूपी में आगरा, शाहजहांपुर, सीतापुर के साथ और कई जिलों में बुनाई होती है। लेकिन लॉकडाउन में बुनाई बंद पड़ी है जिसका प्रभाव कालीन उद्योग पर पड़ा है।
उप्र एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल के वाइस चैयरमेन विनय कूपर ने बताया कि कालीन उद्योग को लॉकडाउन की वजह से भारी नुकासान उठाना पड़ा है। उन्होंने बताया कि इस तीन माह के दौरान तीन हजार करोड़ का कालीन डंप पड़ा है उसका निर्यात नहीं हो पाया है। अगर तीन हजार की कालीन निर्यात होती तो उतने पैसे का भुगतान भी कालीन उद्योग को होता लेकिन कोविड- 19 की वजह से यह सम्भव नहीं हुआ है।
उन्होंने बताया कि 10 से 12 हजार करोड़ का निर्यात कालीन विदेशों को करता है। जिसमें उप्र एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल एक लाख करोड़ का कालीन निर्यात करती है। वक्त के साथ हालात सामान्य होंगे, लेकिन अभी दिक्कत है। केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी से उद्योग को सहूलियत देने की बात हुई है। मुख्यमंत्री योगी ने भी प्रस्ताव मांगा है। क्योंकि उप्र सरकार ने ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ यानी एक जिला एक उत्पाद में भदोही के कालीन उद्योग को शामिल किया है।
भदोही के कालीन उद्योग से जुड़े निर्माता और निर्यात असलम भाई ने बताया कि कोरोना की वजह से कालीन उद्योग को भारी क्षति हुई है। हालांकि यह कहना मुश्किल होगा कि नुकासान कितने का हुआ है लेकिन निर्यात पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। क्योंकि पूरी दुनिया कोरोना से परेशान है। भारत से 80 फीसदी कालीन अमेरिका को निर्यात होता है वहां की हालत किसी से छुपी नहीं है। वहां कालीन के स्टोर्स बंद हो रहे हैं। विमान और कूरियर कम्पनियों ने कई गुना भाड़ा बढ़ा दिया है। आयातक अब शर्त रखने लगे हैं। अब वह कहने लगे हैं कि निर्यात के बाद 180 दिनों तक आप पैसे की मांग नहीँ करेंगे। मज़दूर और बुनकर नहीं मिल रहें हैं। तीन महींने से हैंडमेड कालीन का उत्पादन ठप पड़ा है। ग्लोबल बजार की हालत खस्ता है। इसका असर व्यापक है। अमेरिका के रिटेल मार्केट बंद हो रहें हैं। किसी तरह गोदाम में रखें माल को भेजा रहा है।
आयात के ऑर्डर निरस्त हो रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से उत्पादन ठप है। सरकार को इस संकट में उद्योग को सहायता देनी चाहिए। कोरोना संकट से कैसे निपटा जाय उद्योग और निर्यातकों के संग रायशुमारी करनी चाहिए।

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