कोरोना से जंग जीती जा सकती है अपनी इम्‍युनिटी बढ़ाकर : डॉ. सारिका

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 जर्मनी से भारतवंशी वायरोलॉजिस्‍ट डॉ. सारिका से विशेष बातचीत



भोपाल, 23 मई (हि.स.)। कोविड-19 वायरस को लेकर अब तक तमाम प्रकार की बातें सामने आ चुकी हैं। इसे लेकर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्यूएचओ) भी अब यह मानने लगा है कि शायद ही यह वायरस दुनिया से पूरी तरह समाप्‍त किया जा सके। यानी विश्‍व में मानव समुदाय को इस वायरस से संघर्ष करते हुए ही आगे अपना जीवन बिताना है।  इसी क्रम में जर्मनी में रह रहीं भारतीय मूल की वायरोलॉजिस्‍ट डॉ. सारिका अमडेकर ने भारत के कोरोना हालातों पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए बताया कि जिस तरह से हिन्‍दुस्‍तान में पिछले कुछ दिनों में इस वायरस का प्रकोप देखने को मिला है, उसे सिर्फ अधिकतम टीकाकरण एवं इम्‍युनिटी बढ़ाकर ही रोकना संभव है।
कुछ सुरक्षा उपाय, आहार व जीवनशैली में सुधार कर बचा जा सकता है वायरस से
डॉ. सारिका ने कहा कि भारत में कभी इसी तरह स्‍मॉल पॉक्‍स एवं चिकिन पॉक्‍स फैला था और उसने देखते ही देखते अपने लाखों लोगों को प्रभावित किया। तमाम लोगों की जान भी गई लेकिन वैक्‍सीन देने और कुछ सुरक्षा उपाय, आहार व जीवनशैली में सुधार अपनाने पर यह वायरस भारत में समाप्‍त होने लगा। इसके बाद इस वायरस के उस तरह के लक्षण दिखाई नहीं दिए जैसे प्रारंभ में दिखाई देते थे। उन्‍होंने कहा कि यही बात हम कोविड-19 के साथ भी जोड़कर समझ सकते हैं।
सामुदायिक प्रतिरक्षण की क्षमता विकसित होना बहुत जरूरी
उन्‍होंने जॉन हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ जर्नल के पिछले साल छपे जिपस्याम्बर डिसूजा और डेविड डाउडी के शोध पत्र का उदाहरण देते बताया कि कभी अमेरिका में चेचक, कंठमाला, पोलियो और खसरा जैसी संक्रामक बीमारियों का होना सामान्‍य बात थी लेकिन लगातार इनके वायरस समाप्‍त करने को लेकर अनुसंधान होता रहा। वैक्‍सीन तैयार किए जाने के बाद आज इन पर यहां पूरी तरह से नियंत्रण पा लिया गया है। अब एक आधा ही कोई केस इनसे जुड़ा देखने को मिलता है। भारतीय वैज्ञानिक ने कहा कि सबसे जरूरी है सामुदायिक प्रतिरक्षण की क्षमता का विकसित होना। यह जितना अधिक होगा, हम कोविड-19 जैसे वायरस से मुकाबला करने में उतने ही सक्षम बनेंगे।
हमारा शरीर कई वायरसों से लड़ने में खुद ही सक्षम
डॉ. सारिका अमडेकर कहती हैं कि हमारा शरीर स्‍वयं से कई वायरसों से लड़ने में सक्षम है। जब शरीर कमजोर पड़ता है, तभी बाहरी तत्‍वों का हमला शरीर पर असर करता है। यदि शुरू से ही आपने अपने शरीर को मजबूत रखा है तो आपको पता ही नहीं चलेगा और कई बीमारियां आपको छूकर निकल जाएंगी। हमारे शरीर के ये एंटीबाडी हर बाहरी हमले को रोकने में ‘अग्रिम योद्धा’ का काम करते हैं। कोरोना वायरस के आक्रमण पर भी हमारा इम्यून सिस्टम तेजी से काम करता है और यह हिट एंड ट्रायल प्रक्रिया अपना कर  शरीर की रक्षा करता है।
भारतीय वैज्ञानिक सारिका बताती हैं कि यहां एंटीबाडी इम्मुनोग्लोबिन जी सबसे पहले सक्रिय होता है। यह अपने शुरुआती प्रभाव से ही वायरस को अपने कंट्रोल में करने का प्रयास करता है। इसके लिए यह शरीर के अन्‍य एंटीबाडी इम्मुनोग्लोबिन एम की मदद लेता है। इसके साथ ही हेल्पर सेल्स की मदद करने वालों में किलर टी सेल्स भी हैं जो हमारे शरीर को बचाने के लिए बाहरी तत्‍वों से लगातार लड़ते रहते हैं। यही कारण है कि जिस मानव शरीर में इम्‍युनिटी सिस्‍टम मजबूत है, वह उतना ही इन बाहरी वायरसों से लड़ने में सक्षम दिखाई देते हैं। अभी भी कोरोना का असर सभी पर समान रूप से हो रहा है, ऐसा बिल्‍कुल भी नहीं है। परिवार के कई लोग संक्रमित के संपर्क में बार-बार आने के बाद भी बचे हुए हैं और कई दूर से ही संपर्क में आते ही सीधे प्रभावित हो रहे हैं। इसका कारण मजबूत इम्‍युनिटी और कमजोर इम्‍युनिटी का ही होना है।
विश्‍व के विकसित देश जो नहीं कर पाए, वह भारत ने कर दिखाया
उनसे जब पूछा गया कि भारत में मोदी सरकार व राज्‍य सरकारों के काम को आप अपने देश से दूर रहकर किस तरह देखती हैं ? इस पर भारतीय वैज्ञानिक डॉ. सारिका अमडेकर का कहना था कि भारत में केंद्र की सरकार और राज्‍य सरकारें इस वैश्‍विक महामारी से लड़ने एवं इसके प्रभाव को कम करने की दिशा में बहुत अच्‍छा काम कर रही हैं। यह इसलिए भी कहा जा सकता है कि जब विकसित और भारत के मुकाबले कम आबादी वाले देशों में अमेरिका, बिट्रेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्‍पेन, जापान की सरकारें कोविड-19 संक्रमितों के अचानक से बढ़ने पर सकते में आ सकती हैं, उनकी सभी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं चरमरा जाती हैं और इस कोरोना के सामने अपने को असहाय महसूस कर सकती हैं, तब भारत जैसे 135 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश में कोरोना वायरस को नियंत्रित करना बड़ी बात है।
उन्होंने कहा कि आप कैसे कल्‍पना कर सकते हैं कि सिर्फ सरकारी व्‍यवस्‍थाओं के भरोसे इस महामारी को नियंत्रित किया जा सकता है? सच तो यही है कि विश्‍व के शक्‍तिशाली देश जब इस महामारी के सामने असहाय दिखें हों, तब भारत का इससे मुकाबला निश्‍चित ही देखते बनता है। डॉ. सारिका कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी लगातार कभी जिला कलेक्‍टर्स से तो कभी राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों से तो कभी मेडिकल स्‍टाफर्स से बात करते दिखाई देते हैं। भारत में उनकी समस्‍याओं को जानकर उसे दूर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें सबसे अहम सभी का मनोबल ऊंचा बनाए रखना है जो प्रधानमंत्री मोदी करते नजर आ रहे हैं।
दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में सबसे तेज टीकाकरण
डॉ. सारिका ने कहा कि मैं दोहराना चाहूंगी कि हम यहां भारत से दूर होकर जितना भी अपने देश के बारे में सोचते हैं, उतना ही हमें अपनी वर्तमान सरकार पर गर्व महसूस होता है। इस वैश्‍विक महामारी कोरोना से लड़ाई में सरकार ने जिस तरह से बड़ी जनसंख्‍या के बीच टीकाकरण चलाया हुआ है, वह तो बहुत उत्‍साह भर देनेवाला है। भारत में 10 करोड़ से ज्यादा कोरोना वैक्सीन की डोज जितने दिनों में दी गई, उससे अधिक समय अमेरिका और चीन को लगा है। अमेरिका और चीन को 10 करोड़ खुराक देने में 89 दिन और 102 दिन लगे थे, जबकि दोनों ही देश तकनीक और आर्थिक संसाधनों में आगे हैं लेकिन भारत में सिर्फ 85 दिनों में ही टीके की 10 करोड़ खुराक दे दी गई थी।
इस तरह भारत दुनिया का आज सबसे तेज टीकाकरण अभियान चलाने वाला देश दिखाई देता है। इतना ही नहीं सार्क देशों के साथ-साथ अन्‍य देशों में भी वैक्‍सीन पहुंचाकर भारत ने सकारात्‍मक और सहयोगात्‍मक पहल की है, आज आम जर्मन भी इसके लिए भारत सरकार की प्रशंसा ही करता दिख रहा है। उन्‍होंने कहा कि कोरोना वायरस से लड़ने और जीतने का सिर्फ यही उपाय है कि टीकाकरण के बाद भी अपनी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए आवश्‍यक पौष्‍टिक आहार लेते रहना, पर्याप्‍त आराम करना और भीड़ से बचकर रहना है। भारतीय संस्‍क‍ृति के अनुसार परंपरागत जीवनचर्या को अपनाने के साथ ही अगर हम सभी भारतीय खून में शामिल उत्‍सवधर्मिता बनाए रखेंगे तो आप विश्‍वास मानिए कि हर भारतवासी इस कोरोना के महासंकट पर भी जल्‍द विजय पा लेंगे।

 


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