प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भूपेश लगा सकते है अमरजीत पर दांव

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प्राप्त जानकारी के अनुसार सीतापुर के विधायक अमरजीत भगत के नाम पर प्रदेश अध्यक्ष के लिए सभी बड़े नेताओं की सहमति बन गई है। इस संबंध में शीघ्र ही घोषणा की जा सकती है।



रायपुर,20 जून(हि.स.)। पहले विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित सफलता और फिर उसके बाद लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से पराजित कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद पर आदिवासी चेहरे पर दांव लगाने जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सीतापुर के विधायक अमरजीत भगत के नाम पर प्रदेश अध्यक्ष के लिए सभी बड़े नेताओं की सहमति बन गई है। इस संबंध में शीघ्र ही घोषणा की जा सकती है।

उल्लेखनीय है कि अभी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ही कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काबिज हैं। जिसकी वजह से संगठन का काम बेहद धीमा और कमजोर चल रहा है। पार्टी के कार्यकर्ता इस बात को लेकर बेहद नाराज हैं कि उनकी सुनने वाला संगठन में कोई नहीं है। हाल ही में पराजय के कारणों की समीक्षा बैठक में कार्यकर्ताओं ने इसे लेकर अपनी पीड़ा व्यक्त की है। वही सत्ता से जुड़े चेहरों ने यह कहकर आग में घी डालने का काम किया है कि लोकसभा चुनाव हम कार्यकर्ताओं की वजह से हारे। अभी प्रदेश में कांग्रेस के 68 विधायक हैं। जिनमें से 11 को मंत्री बनाया गया है। निगम मंडलों में कई पद रिक्त पड़े हुए हैं। इन पर नियुक्ति के लिए पार्टी के पास एक पूर्णकालिक अध्यक्ष होना जरूरी है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपना पूरा ध्यान आदिवासी क्षेत्रों में एवं उनसे जुड़े मुद्दों में केंद्रित किए हुए हैं। वे इस वर्ग को साधना चाहते हैं, साथ ही वे प्रदेश में अपने सभी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को एक किनारे करना चाहते हैं। राजनीतिक गलियारों में पार्टी में उनके सामने एक ही नाम सुनने को मिलता है वह है अंबिकापुर से विधायक एवं मंत्री  टी एस सिंह देव का। अंबिकापुर, सरगुजा जिला मुख्यालय है, सरगुजा जिले के सीतापुर क्षेत्र से ही अमरजीत भगत विधायक हैं। वे आदिवासी वर्ग से आते हैं और 6 बार से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। अमरजीत के अध्यक्ष बनने से निश्चित तौर पर टी एस सिंह देव के ऊपर प्रभाव पड़ना तय है। अभी तक सरगुजा जिले में सत्ता और संगठन का एक ही प्रभावशाली  चेहरा  टी एस सिंह देव का है। अमरजीत के अध्यक्ष बनने से निश्चित तौर पर इस पर प्रभाव पड़ेगा। इस तरह से भूपेश बघेल एक तीर से दो निशाना लगाना चाह रहे हैं। एक तो वह आदिवासी वर्ग में पैठ बनाने के साथ साथ खुद को उनका रहनुमा साबित करना चाहते हैं, वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री पद के लिए अपने चिर परिचित प्रतिद्वंदी की  ताकत भी कम करना चाह रहे हैं। अमरजीत भगत एक समय पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के काफी करीब थे तथा उनको टी एस सिंह देव का विरोधी माना जाता था। समय के साथ उन्होंने अपनी आस्था कांग्रेस पार्टी के साथ कायम रखी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीब हो गए। भूपेश बघेल जब प्रदेश अध्यक्ष थे तो उन्होंने कांग्रेस के आदिवासी प्रकोष्ठ का प्रदेश के मुखिया के तौर पर अमरजीत भगत का ही चुनाव किया। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अमरजीत भगत को लेकर चरण दास महंत तथा प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया की भी सहमति मिल गई है। समझा जा रहा है कि अमरजीत भगत के प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की घोषणा दिल्ली से होगी। भूपेश बघेल गुरुवार को दिल्ली के दौरे पर हैं। खास बात यह है कि अमरजीत भगत मंत्रिमंडल में जगह चाह रहे हैं।

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