बंगाल चुनाव : चर्चित निर्दलीय उम्मीदवार नतीजों पर असर डालने में नाकाम रहे
कोलकाता, 06 मई (हि.स.)। बंगाल विधानसभा चुनावों में मतदान से पहले सुर्खियों में रहे कई निर्दलीय उम्मीदवार कोई करिश्मा नहीं दिखा सके। राज्य में 600 से अधिक निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव में शिरकत की लेकिन इनमें से सिर्फ एक को जीत मिली। चुनाव से पहले इनमें से कुछ तो जीत के प्रबल दावेदारों में गिने जा रहे थे। उदाहरण के लिए मालदा की रतुआ सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार तथा तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए जाने-माने नेता मोहम्मद यासीन शेख की पत्नी पायल खातुन को जीत की पूरी उम्मीद थी। पायल तृणमूल के कब्जे वाले मालदा जिला परिषद की प्रमुख भी थीं। इसके बावजूद पायल को ज्यादा फायदा नहीं हुआ। उन्हें 8,628 वोट (3.94%) मिले। उस क्षेत्र से अन्य तीन निर्दलीय उम्मीदवारों को 571, 856 और 1,387 वोट मिले।
पुरुलिया के जयपुर में तृणमूल उम्मीदवार उज्ज्वल कुमार का नामांकन रद्द होने के बाद तृणमूल ने निर्दलीय उम्मीदवार दिव्यज्योति सिंहदेव का समर्थन किया। सत्तारूढ़ दल के समर्थन के बावजूद उन्हें भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरा स्थान मिला। दिव्यज्योति सिंहदेव को 35,429 (17.47%) मिले। उस क्षेत्र में शेष तीन निर्दलीय उम्मीदवारों को क्रमशः 1,419, 1,980 और 1,169।
मुर्शिदाबाद के रघुनाथगंज से निर्दलीय उम्मीदवार नासिर शेख भी इस बार चर्चा में थे। जाने-माने कारोबारी नासिर जिला परिषद के सदस्य थे। एक समय वे तृणमूल में थे लेकिन चुनाव से डेढ़ महीने पहले टिकट पाने की उम्मीद में कांग्रेस में आए थे। टिकट नहीं मिलने पर, उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर प्रतिद्वंदिता की लेकिन उन्हें भी हार झेलनी पडी। नासिर को सिर्फ 16 हजार 244 वोट मिले।
इसी तरह से भाजपा युवा मोर्चा के मालदा जिलाध्यक्ष रहे मनोरंजन दास का भी हरिश्चंद्रपुर सीट से कुछ ऐसा ही अंजाम हुआ जो भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय के तौर पर उतरे थे। एक अन्य निर्दलीय उम्मीदवार अली खान 2016 के विधानसभा चुनाव में बीरभूम मुरारई सीट से कांग्रेस उम्मीदवार थे। वह केवल 280 मतों से तृणमूल के अब्दुर रहमान से हार गए थे। उसके बाद अली तृणमूल में शामिल हुए लेकिन टिकट नही मिलने पर वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में खड़े हुए। लेकिन वे भी मुकाबले से बाहर नजर आये।
नदिया जिले के चाकदह में मतदान के दिन शॉट गन के साथ पकड़े गए कौशिक भौमिक को सिर्फ 468 वोट मिले। भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर कौशिक निर्दलीय उम्मीदवार बने थे।
पश्चिम बंगाल इलेक्शन वॉच के प्रमुख और चुनाव विशेषज्ञ डॉ उज्जयिनी हलीम ने निर्दलीय उम्मीदवारों के प्रदर्शन का विश्लेषण करते हुए बताया कि इस चुनाव में, पश्चिम बंगाल में कुल 2132 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। इनमें से 609 निर्दलीय उम्मीदवार थे। उनमें से केवल एक की जीत हुई है। निर्दलीय उम्मीदवारों को 3.8% वोट प्राप्त हुए। एकमात्र कलिम्पोंग विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय उम्मीदवार रुदेन सदा लेपचा ने जीत हासिल की है।
उन्होंने बताया कि जब हम पार्टी उम्मीदवारों के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवारों के हलफनामों का विश्लेषण करते हैं, तो धन और बाहुबल की प्रबलता लगभग बराबर होती है। हमारा विश्लेषण कहता है कि दस प्रतिशत निर्दलीय उम्मीदवारों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक मामले थे। वे पैसे के मामले में भी मजबूत हैं। इस बार कुल 32 (5%) निर्दलीय करोड़पति उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था।
इस बार चुनाव लड़ने वाले तीन सर्वाधिक धनी उम्मीदवारों में दूसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार शमसुल हुदा लश्कर थे। वे दक्षिण 24 परगना में मोगरहाट निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़े थे। इसकी कुल घोषित संपत्ति 43 करोड़ से अधिक है। दूसरी ओर, आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों की सूची में पहले तीन उम्मीदवारों में से दो निर्दलीय उम्मीदवार थे।