हरिद्वार और वाराणसी की तर्ज पर धर्मनगरी में हुई गीता आरती की शुरुआत

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धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविंद से गीता की उत्त्पति हुई, लेकिन आज तक ब्रह्मसरोवर गीता आरती से महरूम था।



चंडीगढ, 24 नवम्बर (हि.स.)। धर्मस्थली हरिद्वार और वाराणसी में गंगा आरती की तर्ज पर धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में रविवार को पहली बार गीता आरती की शुरूआत हुई। ब्रह्मसरोवर के घाट पर यह आरती प्रतिदिन होगी।
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविंद से गीता की उत्त्पति हुई, लेकिन आज तक ब्रह्मसरोवर गीता आरती से महरूम था। कई बार गीता आरती करने की मांग उठी, लेकिन परवान नहीं चढ़ी। इस सपने को जयराम आश्रम संस्थाओं के अध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने रविवार शाम को पूरा किया।
ब्रह्मसरोवर के तट पर सायंकालीन आरती में वातावरण भक्तिमय था। जैसे ही वेदपाठियों ने आरती शुरू की तो गीता वाणी गूंज उठी। गीता वाणी को सुनकर सभी श्रद्धालु थोड़े अचंभित जरूर हुए, लेकिन यह सुखद अनुभव था कि पहली बार गीता स्थली पर गीता आरती हो रही है।
जयराम आश्रम संस्थाओं के अध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर धर्मनगरी में हरिद्वार और वाराणसी की तर्ज पर महाआरती की शुरूआत की गई है। जिस तरह से मां गंगा की आरती ने विशेष पहचान बनाई है, उसी तरह गीता आरती को भी विशेष पहचान दिलाने के लिए प्रयास होगा।

 


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