डॉ. राहुल ने श्रोताओं को बताया कि हमें शहीद भगत सिंह जी से प्रेरणा लेनी चाहिए तथा एकजुट होकर देश के विकास में योगदान देना चाहिए । उन्होंने श्रोताओं के सम्मुख शहीद भगत सिंह जी का जीवन वृतांत प्रस्तुत करते हुए बताया कि बचपन से ही उनके मन-मस्तिष्क में क्रांति की भावना थी जिसे उन्होंने जन-जन तक पहुँचाया और देश की स्वतंत्रता में एक प्रमुख योगदान दिया । उन्होंने पूर्ण रूप से अपना जीवन अपनी माटी की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया । उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि देश के युवा शहीद भगत सिंह जी के राष्ट्रवादी, देशभक्ति, देशप्रेमी जज़्बे को अपने जीवन में उतारें ।
डॉ. नीरज भारद्वाज ने श्री गोपालप्रसाद व्यास जी की कविता ‘खूनी हस्तााक्षर’ की पक्तियों को श्रोताओं से साझा करते हुए शहीद भगत सिंह जी के अतुल्य गुणों और साहसी जीवन का संक्षिप्त में व्याख्यान किया । उन्होंने बताया कि शहीद भगत सिंह जी ने बचपन से ही स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देना प्रारंभ कर दिया था । 17 वर्ष की आयु से ही उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से जन जागरण का कार्य किया । शहीद भगत सिंह जी ने क्रान्तिकारी आन्दोलन की एक नयी रूप रेखा रखी और राष्ट्रभक्ति की मशाल जला कर जन-जन में चेतना जगाई । वह संकल्प, दृढ़ता, राष्ट्रप्रेम, क्रांति, समर्पण, राष्ट्रसेवा, त्याग और बलिदान की प्रतिमा हैं ।
श्री सुभाष चंद्र कंखेरिया ने कहा कि शहीद-ए-आज़म भगत सिंह जी की सोच, उनका जीवन हर एक नागरिक के लिए प्रेरणा का स्रोत है । उन्होंने बताया कि देश में क्रांति लाने के मजबूत इरादों से अंग्रेजी शासन को झकझोर कर रख देने वाले और हँसते हँसते स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान कर देने वाले इस क्रांतिकारी नौजवान जैसा जज़्बा पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय है ।
डॉ. रामशरण गौड़ द्वारा श्रोताओं को बताया गया कि शहीद भगत सिंह जी का भारत की स्वतंत्रता में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है । उन्होंने बहुत ही छोटी उम्र में जलियांवाला बाग हत्याकांड देखा था जिसने उनके जीवन में गहरी छाप छोड़ी । बचपन से ही उनमें अंग्रेजी कुशासन के प्रति क्रांतिकारी जज़्बे का जन्म हो गया था I उन्होंने कहा कि हमें देश की स्वतंत्रता व लोकतंत्र को सुरक्षित रखने हेतु भगत सिंह जी से प्रेरणा लेकर देश के प्रति समर्पण भाव रखना चाहिए ।
अंत में श्री आर. के. मीणा, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, दि.प.ला. द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया ।