अब नए वकील हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सीधे शुरू नहीं कर सकेंगे प्रैक्टिस

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बीसीआई ने दिया ट्रायल कोर्ट के अनिवार्य अनुभव का प्रस्ताव



नई दिल्ली, 22 नवम्बर (हि.स.)। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है कि हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने से पहले दो साल ट्रायल कोर्ट में और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए दो साल हाईकोर्ट की प्रैक्टिस अनिवार्य होगी। इसका मतलब है नए वकील अब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सीधे प्रैक्टिस नहीं शुरू कर सकेंगे।

बीसीआई के इस प्रस्ताव को अगले साल मार्च से लागू किया जा सकता है। बीसीआई चेयरमैन मनन मिश्रा ने आज विज्ञप्ति जारी कर कहा कि लीगल प्रोफेशन के साथ-साथ लीगल एजुकेशन दोनों के लिए ये सुधार काफी जरूरी हो गया है। मनन मिश्रा ने कहा है कि किसी भी हाईकोर्ट के बार को ज्वॉइन करने से पहले किसी भी वकील को दो साल डिस्ट्रिक्ट या तालुका कोर्ट में प्रैक्टिस का अनुभव अनिवार्य होना चाहिए। उसी तरह सुप्रीम कोर्ट में किसी वकील को प्रैक्टिस करने से पहले किसी हाईकोर्ट में दो साल के प्रैक्टिस का अनुभव जरूर होना चाहिए।

बीसीआई के प्रस्ताव के मुताबिक किसी वकील को अपनी प्रैक्टिस के दौरान लीगल एजुकेशन अनिवार्य रूप से जारी रखनी होगी। इसके लिए वकीलों को दस साल की प्रैक्टिस के दौरान पांच सालों में 40 दिनों का ट्रेनिंग करना अनिवार्य होगा। इस लीगल ट्रेनिंग को राज्यों के बार काउंसिल सीनियर जजों और वकीलों के जरिए पूरा कराया जाएगा। ये ट्रेनिंग बार काउंसिल वकीलों को मुफ्त में देगी। बीसीआई इसके लिए चीफ जस्टिस से आग्रह करेगी कि वो सभी हाईकोर्ट को राज्यों के बार काउंसिलों की मदद करने का निर्देश दें।

बीसीआई ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट उम्र एक समान करने की मांग की है। साथ ही बीसीआई ने केंद्र सरकार से मांग की है कि जजों को रिटायर होने के बाद उन्हें किसी पद पर नियुक्ति नहीं किया जाए। इन सभी प्रस्तावों पर विचार करने के लिए जनवरी 2020 में बीसीआई सभी राज्यों के बार काउंसिल और जिलों के बार एसोसिएशंस के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेगी। उस बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा। इन प्रस्तावों के पारित होने तक किसी भी बार एसोसिएशन का चुनाव नहीं होगा।

बीसीआई ने न्यायिक अधिकारियों के अनुभव के प्रावधान को हटाने की वजह से पक्षकारों को आ रही दिक्कतों पर गौर किया है। बीसीआई ने कहा है कि न्यायिक अधिकारियों में अनुभव की कमी की वजह से वकीलों को भी परेशानी होती है। न्यायिक अधिकारियों की ट्रेनिंग के लिए जुडिशियल एकेडमी नाकाफी साबित हो रहे हैं। बीसीआई सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्यायिक अधिकारियों में अनुभव के प्रावधान को हटाने के फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह करेगी।

 


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