विमोचन’बैटल रेडी फॉर 21वीं सदी’ पुस्तक का

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पुस्तक में भारत को आकस्मिक युद्ध रोकने के दिए गए सुझाव भारत के लिए भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों को पहचाना गया 



नई दिल्ली, 17 मार्च (हि.स.)। सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस बिपिन रावत और पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर ने बुधवार को सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज में ‘बैटल रेडी फॉर 21वीं सदी’ पुस्तक का विमोचन किया। इसे लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह और ब्रिगेडियर नरेन्द्र कुमार ने संपादित किया है। यह पुस्तक संघर्ष के उभरते क्षेत्रों, वांछित क्षमताओं और सैद्धांतिक मुद्दों को परिभाषित करती है, जिनका सावधानीपूर्वक परीक्षण किये जाने की आवश्यकता है।
पुस्तक में संघर्ष के नवीन आयामों, उनके लिए वांछित क्षमताओं एवं उन सैद्धांतिक मुद्दों को परिभाषित करने का प्रयास किया गया है, जिनको सावधानीपूर्वक परीक्षण की दरकार है। लेखकों ने भूमि, वायु, समुद्र, अंतरिक्ष, साइबर डोमेन पर उभरती सुरक्षा चुनौतियों से भारत को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक तरीकों और साधनों को परिभाषित करने और सुझाव देने का प्रयास किया है। यह पुस्तक भविष्य के उन संघर्षों का ज़िक्र करती है, जिनका सामना भारत कर सकता है। साथ ही सलाह दी गई है कि इन आकस्मिक युद्धों को रोकने के लिए क्षमताओं का निर्माण करने की आवश्यकता है। इसका प्राक्कथन पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने लिखा है। पूर्व सेना प्रमुख जनरल एनसी विज और प्रो. गौतम सेन ने भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों और निर्माण क्षमताओं की आवश्यकता के लिए पुस्तक पर टिप्पणी की है।
यह पुस्तक भविष्य के संघर्षों के रणनीतिक प्रबंधन के लिए वैचारिक ढांचे को निर्धारित करती है। भारतीय संदर्भ में पारंपरिक ज़मीनी बल इलाके में कब्ज़ा करने, अधिकारपूर्वक बने रहने तथा दुश्मन को कोई भी लाभ उठाने से रोकने में अब भी बेजोड़ हैं। नतीजतन, विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान से खतरे से निपटने के दौरान ज़मीनी बलों पर ध्यान केंद्रित रहता है। इस संदर्भ में पुस्तक में लिखे गए लेखों में भारत को सुरक्षित करने के लिए गतिशील सैन्य रणनीतियों के साथ-साथ ग्रे जोन संघर्ष, शहरी युद्ध और पर्वतीय युद्ध को भी कल्पनाशीलता से शामिल किया गया है। पुस्तक में कहा गया है कि ‘दो तरफ़ा युद्ध’ की दुविधा अब भ्रम नहीं अपितु एक वास्तविकता है, जो हमारे समक्ष बनी हुई है। बहुत लंबे समय से आईएसआर डोमेन भारत के लिए दुखती रग बना हुआ है, जिन्हें दूर करने के लिए व्यावहारिक उपाय सुझाए गए हैं।

 


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