बरेली, 10 जनवरी (हि.स.)। बरेली के नवाबगंज में करीब चार साल पहले मासूम बालिका के साथ निर्भया कांड जैसी दरिंदगी करने वाले दो आरोपितों को स्थानीय अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। आरोपितों ने मासूम से दरिंदगी करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी। कोर्ट ने आठ जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे शुक्रवार को सुनाया गया।
नवाबगंज की एक गांव में 29 जनवरी 2016 को बारह साल की मासूम अपनी मां के साथ गन्ने के खेत में पताई लेने गई थी। एक बार वह पताई लेकर आ गई। मां ने उसे दोबारा पताई लेने के लिए भेजा तो वह लौट कर वापस नहीं आई। तलाश करने पर उसका निर्वस्त्र शव सरसों के खेत में मिला। मासूम के नाजुक अंग को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। उसके शरीर पर कई गंभीर चोटें थीं। पोस्टर्माटम रिपोर्ट में उसके नाजुक अंग में लकड़ी मिली, जो उसके साथ हुई दरिंदगी बयान कर रही थी। पुलिस ने तफ्तीश शुरू की तो गांव के रामचंद्र ने बयान दिया कि स्थानी निवासी मुरारीलाल और उमाकांत उससे पुलिस से बचाने की बात कह रहे थे। इस पर पुलिस ने तत्काल दबिश देते हुए दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने शराब के नशे में यह घिनौना कृत्य करने की बात कबूल की।
विवेचना के बाद मामला कोर्ट में पहुंचा और गवाही शुरू हुई। अभियोजन की ओर से मामले में 13 गवाह पेश किए गए। पीड़ित मासूम की दादी, मां के साथ रामचंद्र भी इसमें शामिल थे। पुलिस ने 2017 में चार्जशीट लगाई और यह मामला अब तक अदालत में चलता रहा। इस दौरान कई बार गवाहों को धमका कर बयान बदलवाने का भी प्रयास किया गया।
इस वजह से एक अन्य गवाह अदालत में पुलिस को दिए अपने बयान से मुकर भी गया लेकिन रामचंद्र अपने बयान पर कायम रहा। पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक करके गवाह को सुरक्षा का भरोसा दिया। इसके बाद रामचंद्र की तहरीर पर धमकी देने का मुकदमा भी दर्ज किया गया। रामचंद्र को रुपये देकर भी बयान से पलटने को कहा गया लेकिन उसने रुपये वापस कर दिए और झूठ बोलने से इनकार कर दिया। इसके बाद अदालत ने पीड़ित की मां और रामचंद्र की गवाही के आधार पर दोनों आरोपितों को दोषी पाया।
सरकारी वकील रीतराम राजपूत की ओर से कोर्ट से दोनों आरोपितों के लिए फांसी की सजा की मांग की गई। इसके बाद अपर सत्र न्यायाधीश-विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सुनील कुमार यादव ने दोनों आरोपितों को फांसी और पचास हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई।