भारत के पूर्वी राज्यों से रेल मार्ग के जरिये शीघ्र जुड़ेगा बांग्लादेश

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बांग्लादेश के रेल मंत्री मो. नूरुल इस्लाम सुजन बोले, भारत से बांग्लादेश के सम्बन्ध खून के रिश्तों की तरह गहरे



कोलकाता, 17 मार्च (हि.स.)। बांग्लादेश के रेल मंत्री मोहम्मद नूरुल इस्लाम सुजन ने उम्मीद जताई है कि बांग्लादेश जल्द ही रेल मार्ग के जरिए भारत के पूर्वी राज्यों से भी जुड़ जाएगा। बांग्लादेश ढाका से सिलीगुड़ी और राजशाही से कोलकाता तक यात्री रेल सेवा शुरू करने की योजना बना रहा है। भारत ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है। पंचगढ़ से जलपाईगुड़ी रेलवे लाइन  निर्माण के लिए आवश्यक अध्ययन चल रहा है।
रेल मंत्री ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में उम्मीद जताई कि जल्द ही हम भारत के पूर्वी राज्यों के साथ रेलवे कनेक्टिविटी में एक प्रमुख भूमिका निभा सकेंगे। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ढाका से सिलीगुड़ी और राजशाही से कोलकाता तक यात्री रेल सेवा शुरू करने की योजना बना रहा है। भारत ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है। पंचगढ़ से जलपाईगुड़ी रेलवे लाइन निर्माण के लिए आवश्यक अध्ययन चल रहा है।कोरोना वायरस के कारण भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बांग्लादेश दौरा रद्द होने से लेकर दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते को लेकर मोहम्मद नुरुल ने खुलकर बात की। यहां पेश है बातचीत के प्रमुख अंश : –
भारत के साथ बांग्लादेश के वर्तमान संबंधों को आप कैसे देखते हैं ?
भारत के साथ बांग्लादेश के संबंध खून के रिश्तों की तरह गहरे हैं क्योंकि 1971 में दुनिया के कई देशों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग किया था लेकिन भारत ने अपना खून बहाकर हमारी स्वाधीनता सुनिश्चित की। सहयोगी दलों के रूप में हमारे स्वतंत्रता संग्राम में सीधे भाग लेकर 16 हजार भारतीय सैनिक मारे गए। भारत ने हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का हथियारों और प्रशिक्षण में सहयोग किया। भारत ने बांग्लादेश के एक करोड़ शरणार्थियों को शरण भी दी। राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान हमेशा इसे याद करते थे लेकिन 1975 में बंगबंधु की हत्या के बाद बांग्लादेश को पाकिस्तान परस्त लोगों द्वारा भारत विरोधी भूखंड के तौर पर तब्दील करने की कोशिश की गई। बांग्लादेश भारत विरोधियों की शरण स्थली बनता जा रहा था लेकिन मुजीबुर रहमान की बेटी और वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना देश को ऐसे लोगों के चंगुल से बचाने में सक्षम हुई हैं। उनकी नीति रही है कि बांग्लादेश की भूमि किसी भी अन्य देश के विद्रोहियों की शरण स्थली ना बने और हम उस सिद्धांत में विश्वास करते हैं।
भारत-बांग्लादेश संबंधों में रेल कैसे भूमिका निभा सकती है?
बांग्लादेश की  वर्तमान सरकार भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने के लिए आपसी जनसंपर्क बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसमें रेल एक अहम माध्यम हो सकता है। बांग्लादेश के माध्यम से भारत के पश्चिमी भागों के साथ पूर्वी क्षेत्रों के संपर्क को सुविधाजनक बनाने के लिए ब्रॉड गेज सहित सभी मीटर गेज रेल लाइनों को दोहरे गेज (डबल लाइन) में परिवर्तित किया जा रहा है। अखौरा से अगरतला का कोई रेल संपर्क नहीं था, लेकिन वर्तमान सरकार भारत के अनुदान से एक नई दोहरी गेज रेल लाइन का निर्माण कर रही है। यह पूरा हो जाने के बाद कोलकाता से सीधे अगरतला रेल लिंक शुरू करना संभव होगा। उन्होंने कहा कि संचार विकासशील रिश्तों के लिए एक प्रमुख माध्यम है। भारत में रेल लिंक पारंपरिक हैं और पूरे देश में इसका विस्तार है। रेल यातायात में बहुत सुधार हुआ है। उस स्थिति में, यदि हम भारत के साथ रेल संपर्क बढ़ाते हैं, तो हमारे दोनों देशों के लोगों को लाभ होगा। व्यावसायिक रूप से भी लाभ होगा। वर्तमान में हम आयात और निर्यात के लिए सिंगापुर बंदरगाह का उपयोग करते हैं। पानी के जहाज सिंगापुर में सामान लाते हैं। वहां से हल्के जहाजों को चटगांव या मोंगला बंदरगाह लाया जाता है। एक बार जब हमारी सभी रेल लाइनें ब्रॉड गेज हो जाएंगी तो हम हल्दिया या मुंबई बंदरगाहों का उपयोग कर सकते हैं। फिलहाल भारत से कई उत्पाद सिंगापुर के रास्ते लाए जाते हैं। बंगबंधु रेलवे ब्रिज और ब्रॉड गेज रेल लाइन एक बार बनने के बाद हम देश के किसी भी स्थान पर सीधे सामान ला सकते हैं। माल की ढुलाई बहुत अधिक सस्ती होगी। दोनों देशों के बीच यातायात जितनी बेहतर होगी, सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था उतनी ही सुदृढ़ होगी। भारत को भी इससे फायदा होगा और हमें भी।
क्या नेपाल-भूटान को भी भारत के साथ बांग्लादेश रेलवे कनेक्शन का लाभ मिलेगा?
दुर्लभ-राधिकापुर और रहनपुर-सिंगाबाद  नेपाल, भूटान के लिए ट्रांजिट सुविधाएं पहले से ही चल रही हैं। यदि चिल्हाटी-हल्दीबाड़ी और पंचगढ़ रेल मार्ग तैयार हो जाता है तो दोनों देश उनका उपयोग करने में सक्षम होंगे। यह मोंगला और चटगांव के बंदरगाहों के माध्यम से भारत के रास्ते माल परिवहन करने में सक्षम होंगे। तीनों देशों के बीच त्रिपक्षीय समझौता भी है। बांग्लादेश के विकास में भारत के प्रमुख योगदान का उल्लेख करते हुए रेल मंत्री ने कहा कि भारत हमारे विकास के लिए नैतिक समर्थन के साथ-साथ भारतीय लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। भारत की लाइन ऑफ क्रेडिट के अंतर्गत 16 परियोजनाएं ली गई हैं जिसमें से 12 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। बंगबंधु ब्रिज के पश्चिम से सिराजगंज से बोगरा, परबतीपुर-कौनिया डबल लाइन, कुलराज-शाहबाज़- डबल गेज रेल लाइन, मोंगला-खुलना, टोंगी-जोयदेबपुर दोहरी गेज डबल लाइन, टोंगी-कमलापुर दोहरी गेज तीसरी और चौथी रेल लाइन आदि परियोजनाओं में भारत हमारे साथ सहयोग कर रहा है।
भारत से लोन पर 20 लोकोमोटिव (इंजन) लाने की प्रक्रिया में कितनी प्रगति हुई?
मीटर गेज लोकोमोटिव पुराना है, इसलिए इसे लाना उचित नहीं होगा। हालांकि, 10 ब्रॉड गेज लोकोमोटिव को जितनी जल्दी हो सके लाने का प्रयास किया जा रहा है। कोरोना वायरस के कारण भारतीय प्रधान मंत्री की यात्रा को रद्द करने के बारे में पूछे जाने पर नुरुल इस्लाम सुजन ने कहा कि पूरी दुनिया अब कोरोना वायरस से घबरा गई है। इसकी वजह से प्रधानमंत्री का दौरा रद्द करने संबंधी निर्णय अत्यावश्यक था। इसमें बांग्लादेश के साथ भारत के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दोनों देश कोरोना वायरस से बचाव के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। भारतीय प्रधानमंत्री ने सार्क देशों से कोरोना वायरस से निपटने में सभी तरह के सहयोग की उम्मीद जताई है।

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