वाराणसी,18 फरवरी (हि.स.)। उत्सव प्रिय काशी नगरी के सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के खेल मैदान में गुरुवार को अलग और सुखद नजारा रहा। लोवर-टीशर्ट की बजाय माथे पर त्रिपुंड लगाये परम्परागत धोती-कुर्ता पहनकर बाल बटुकों को कछाना मार (कमर में लपेट) क्रिकेट खेलते देख मौजूद लोग दंग रह गये।
इस दौरान संस्कृत में कमेन्ट्री चौका लगने पर अतीव सुंदरतया कंदुक प्रक्षेपणेन,फलक धारक: स्तब्धोजात:, कंदुक: सीमा रेखाया: बहिर्गमनम् चतुर्धावनांक: लब्ध: । (खूबसूरत बालिंग से बल्लेबाज चकित हो गया, गेंद सीमा रेखा के बाहर,चार रन मिले) सुनकर लोग मैदान में डटे बटुकों का उत्साह बढ़ाने के लिए हर-हर महादेव का उदघोष भी करते रहे।
खिलाड़ियों को चतुर धावनांक (चार रन) चौका, षड् धावनांक (छह रन) छक्का मारने पर उत्साहित साथी बटुक अभिनंदनम-अभिनंदनम का उद्घोष कर खिलाड़ियों का जमकर उत्साह बढ़ाते रहे। अवसर रहा दशाश्वमेध स्थित शास्त्रार्थ महाविद्यालय के 77वें स्थापना दिवस पर आयोजित क्रिकेट मैच का । एक दिवसीय प्रतियोगिता का उद्घाटन महाविद्यालय के प्राचार्य डा. गणेश दत्त शास्त्री ने किया। प्रतियोगिता में 10-10 ओवर के मैच में कुल 06 संस्कृत विद्यालय की टीमों ने हिस्सेदारी की। उद्घाटन मैच चंद्रमौली इंटरनेशल वेद विद्यालय और ब्रम्हा वेद विद्यालय के बीच खेला गया।
पहले खेलते हुए चंद्रमौली इंटरनेशनल विद्यालय ने 62 रन बनाया। जबाब में ब्रम्हा वेद विद्यालय के बटुक 55 रन पर ही आल आउट हो गये। मुख्य कमेंटेटर शास्त्रार्थ महाविद्यालय के ६५ वर्षीय वयोवृद्ध वरिष्ठ आचार्य डा.शेषनारायण मिश्र रहे। जो धाराप्रावाह संस्कृत में कमेंट्री कर रहे थे । उन्हें देखकर लगता था कि खेल मैदान में शास्त्रार्थ चल रहा हो । मैच के दौरान फलकधारक (बल्लेबाज), कंदुक प्रेक्षपक (गेंदबाज) सरीखे शब्दों का प्रयोग हो रहा था।
आचार्य विकास दीक्षित व डा.राघवशरण मिश्र ने भी बीच-बीच में संस्कृत में कमेंट्री की। कुछ क्षण अंग्रेजी में कमेंट्री डा. अशोक पांडेय ने की। लंबी चुटियाधारी संस्कृत के बटुक मैदान में भी आपस में संस्कृत में ही बात कर रहे थे। इस मैच में अम्पायरिंग करने वाले पूर्व खिलाड़ी धीरज मिश्र व अनुज तिवारी भी भगवा धोती,दुपट्टा व रुद्राक्ष की माला धारण किए हुए थे ।
इसके पहले शास्त्रार्थ महाविद्यालय के प्राचार्य व संयोजक डा.गणेश दत्त शास्त्री ने बटुक खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर किया । इस अवसर पर राष्ट्रपति सम्मान से पुरस्कृत प्राचार्य डा.गणेश दत्त शास्त्री ने कहा कि प्रतिवर्ष स्थापनोत्सव पर यह प्रतियोगिता छात्रों के उत्साहवर्धनार्थ किया जाता है। उद्घाटन के अवसर पर प्रो.हरि प्रसाद अधिकारी,डा.माधुरी पांडेय,डा.उमाशंकर त्रिपाठी,आचार्य चूड़ामणि शास्त्री,डा.अशोक पांडेय,आमोद दत्त शास्त्री आदि की उपस्थिति रही। मैच का संयोजन व संचालन महाविद्यालय के साहित्य विभागाध्यक्ष आचार्य पवन शुक्ला ने किया ।
क्रिकेट खेल के दौरान संस्कृत में शब्दों का उच्चारण
दंडाग्रे पादे कंदुक स्पर्शात् बहिर्भूत: लेग बाई विकेट,कन्दुकस्य रेखाया: बहिर्गमनम् (वाइड बाल,अतिरिक्त रन दिया गया) ,कंदुक प्रक्षेपक: कन्दुकं प्रक्षिपति तदा फलक ताडकत्वेन तीव्रगत्या प्रहरति, कन्दुकं आकाश मार्गेण गच्छन्,सीमा रेखात: बहिर्गतम् षड धावनाकेंन कोष: उद्घाटितवान् (बालर ने बाल फेका बल्लेबाज ने काफी तेज प्रहार किया बाल आकाश मार्ग जाते हुए सीमा रेखा से बाहर चली गयी छ: रन से खाता खुला) खेल मैदान में मौजूद लोगों को खूब भाया।