अयोध्या, 28 मार्च (हि.स.)। दक्षिण कोरिया में बसी आधी आबादी में अयोध्या की सुवर्ण रत्ना यानी ‘महारानी हो’ का योगदान है। उन्होंने सदियों पहले भारत और दक्षिण कोरिया के बीच रिश्तों का सेतु बनाया जो आज भी कायम है। सुवर्ण रत्ना की वजह से भारतीय संस्कृति का प्रसार दक्षिण कोरिया में हुआ जिसे दक्षिण कोरिया के लोग कभी नहीं भुला पाएंगे।
यह बातें शनिवार को अयोध्या पहुंचे दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री सुह वूक ने प्रशासनिक व रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ चर्चा के दौरान कही। दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री सुह वूक भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा करने के लिए तीन दिनों के भारत दौरे पर हैं। शनिवार को उत्तर प्रदेश में उनका कार्यक्रम आगरा और अयोध्या में था। सुबह वह आगरा पहुंचे जहां पर भारतीय सेना के पैराशूट ब्रिगेड हॉस्पिटल का दौरा किया। इसके बाद अयोध्या के लिए रवाना हो गये जहां पर जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। रक्षा मंत्री सुह वूक हवाई पट्टी से सीधे सरयू किनारे बने सुवर्ण रत्ना यानी ‘महारानी हो’ के स्मारक स्थल पर पहुंचे और दीपक जलाकर उनको श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने दक्षिण कोरिया की राष्ट्रधुन भी गुनगुनाई। इस दौरान उन्होंने महारानी हो के स्मारक और पार्क पर जाकर विकास कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि जिस तरह आगरा का ताजमहल प्यार की निशानी के तौर पर प्रसिद्ध है, उसी तरह महारानी हो का स्मारक भी होगा।
भारत और दक्षिण कोरिया के रिश्तों को किया याद
अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज झा ने बताया कि दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री सुह वूक ने भारत और दक्षिण कोरिया के रिश्तों को याद करते कहा कि आज से सदियों पहले यहां की सुवर्ण रत्ना धर्म प्रचार के लिए दक्षिण कोरिया गईं थी। गिमहे प्रांत में उनका जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया लेकिन वहां के राजकुमार सुरों ने सुवर्ण रत्ना को बचाया और उनसे शादी कर ली। शादी के बाद उनका नाम ‘महारानी हो’ हो गया और उन्होंने दक्षिण कोरिया में भारतीय संस्कृति को प्रचारित किया। आज दक्षिण कोरिया की आधी आबादी महारानी हो की वंशज है। उन्होंने दक्षिण कोरिया व भारत के बीच रिश्तों पर सेतु के रूप में काम किया। यह रिश्ता सदियों पहले से आज भी चला आ रहा है और आगे भी चलता रहेगा।