अयोध्या, 03 अगस्त (हि.स.)। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने छह अगस्त से प्रतिदिन सुनवाई करने का फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय पर पक्षकारों ने हर्ष व्यक्त किया है। हिंदू पक्षकारों ने कहा कि अब उम्मीद जगी है कि 70 वर्षों से अदालत की चौखट नाप रहे रामलला को न्याय मिलेगा तो मुस्लिम पक्ष ने कहा कि कोर्ट जो भी निर्णय देगी उसे मानेंगे।
श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि 70 साल से अदालत की चौखट नाप रहे रामलला को न्याय मिलने की उम्मीद प्रबल हो गई है। कांग्रेसियों के इशारे पर मामले को लटकाया जाता रहा है। रामलला 30 वर्षों से टेंट में हैं, हमें पूरी आस है अब शीघ्र ही आजाद होकर भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से करोड़ों हिंदुओं को रामलला की आजादी की उम्मीद जगी है।
श्रीराम जन्म भूमि के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि अब हमें पूरी उम्मीद है कि जल्द निर्णय आएगा अब शीघ्र ही राम भक्तों की इच्छा पूरी होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सारे सबूत राम जन्म भूमि के पक्ष में हैं, इसलिए निर्णय भी हमारे हक में आना है। रामलला को अब टेंट से जल्द आजादी मिलनी चाहिए। संत समाज व हिंदू समाज अपने प्रभु को मंदिर में विराजित करने के लिए बेसब्र हैं।
वहीं मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी का कहना है कि हमें कोर्ट और मध्यस्थता कमेटी दोनों का फैसला मान्य है। लोगों ने अयोध्या को धर्म का विषय बना दिया है। राजनीतिक रोटी सेकी जा रही है जो बंद होनी चाहिए। जिस दिन अयोध्या मामले का फैसला आएगा उसी दिन राजनीतिक रोटियां सेकना बंद हो जाएंगी और पूरी दुनिया में अयोध्या का नाम होगा। हम चाहते हैं आज फैसला हो अभी फैसला हो राम नगरी का सौहार्द नहीं बिगड़ना चाहिए।
दूसरे मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने कहा कि आपसी बातचीत के जरिए विवाद का हल करने का कोई नया प्रयास नहीं था। इससे समय और धन दोनों की बर्बादी हुई पहले भी कई बार प्रयास हुआ लेकिन राजनीति करण के कारण विवाद कभी हल नहीं हो सका। अब न्यायालय को ही फैसला सुनाना चाहिए। कोर्ट ने छह अगस्त से नियमित सुनवाई को कहा है, यह सराहनीय है। जल्द फैसला आना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम तो कहते भी रहे हैं कि कोर्ट जो निर्णय देगी वह मानेंगे।